कोलकाता, 27 दिसंबर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शुक्रवार को कहा कि जिस युग में प्रौद्योगिकी ‘सुपरसोनिक गति’ से बढ़ रही है, उसमें आत्मा की प्रसन्नता भी उतनी ही महत्वपूर्ण है।
कोविंद ने कहा कि विज्ञान और अध्यात्म विरोधाभासी नहीं हैं, बल्कि एक ही सिक्के के दो पहलू हैं जो समाज की बेहतरी के लिए मिलकर काम करते हैं।
पूर्व राष्ट्रपति ने यहां एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘वैज्ञानिक सच की खोज में अपना जीवन समर्पित कर देते हैं और उनकी यह खोज साधना कहलाती है।’’
उन्होंने कहा कि आज मनुष्य को भौतिक सुख-सुविधाओं से परे जाने की जरूरत है।
कोविंद ने कहा कि रामकृष्ण परमहंस, मां सारदा और स्वामी विवेकानंद जैसे संत अध्यात्म की खोज में निकले थे। उन्होंने कहा कि बंगाल के इन संतों ने दुनिया की सुख-सुविधाओं को खारिज कर दिया था लेकिन उन्होंने संन्यास के बिना आध्यात्मिक खोज पूरी नहीं होने की धारणा को भी खारिज कर दिया था।
उन्होंने कहा, ‘‘स्वामीजी जैसे संतों ने इस अवधारणा को खारिज कर दिया कि बिना संन्यास के आध्यात्मिक खोज पूरी नहीं हो सकती।’’
कोविंद ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने वैज्ञानिक तरीके से आध्यात्मिकता की खोज की।
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