देश की खबरें | दिल्ली दंगे: कांस्टेबल हत्या मामले में जमानत याचिका पर जवाब न देने वाले आईओ को अदालत ने चेताया
एनडीआरएफ/प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: ANI)

नयी दिल्ली, पांच सितंबर दिल्ली में फरवरी में हुए दंगों में एक हेड कांस्टेबल की कथित हत्या से जुड़े मामले में जमानत याचिकाओं पर जवाब दाखिल नहीं करने पर एक अदालत ने यहां पुलिस के जांच अधिकारी को चेताते हुए कहा कि वह एक महत्वपूर्ण मामले को “बेहद असंवेदनशील” तरीके से निपटा रहा है।

नागरिकता कानून के समर्थकों और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसा के बाद उत्तर पूर्वी दिल्ली में 24 फरवरी को सांप्रदायिक झड़प हो गई थी और इसके बाद स्थिति बेकाबू होती चली गई। इस हिंसा में कम से कम 53 लोगों की जान चली गई और करीब 200 लोग जख्मी हो गए थे।

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शहर के उत्तरपूर्वी हिस्से के दयालपुर इलाके में फरवरी में हुई हिंसा में हेड कांस्टेबल रतन लाल की कथित हत्या के मामले में आरोपी साहिल, आदिल, मोहम्मद फुरकान और इमरान अंसारी की जमानत याचिका पर अदालत सुनवाई कर रही थी।

आदिल ने तीन जुलाई को, साहिल और फुरकान ने 23 जुलाई को और अंसारी ने 27 अगस्त को जमानत याचिका दायर की थी।

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अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव ने कहा कि सुनवाई की पिछली तारीख पर शपथ-पत्र देने के बावजूद जांच अधिकारी (आईओ) ने जमानत याचिकाओं पर जवाब दायर नहीं किये हैं।

न्यायाधीश ने कहा कि मामले में जांच अधिकारी की “घोर लापरवाही” है और इस मामले में पर्याप्त समय दिये जाने के बाद उसे “चौकस” होना चाहिए था।

इससे पहले आईओ ने इस मामले में जवाब दायर करने के लिये शपथ-पत्र देते हुए कहा था कि जवाब की अग्रिम प्रति वह आरोपी के वकील को भी उपलब्ध कराएगा।

अदालत ने अपने आदेश में कहा, “सुनवाई की पिछली तारीख पर शपथ-पत्र देने के बावजूद मामले के आईओ द्वारा जवाब नहीं दिया गया है। यह आईओ द्वारा की गई घोर लापरवाही है। यह अपराध शाखा के लिये बेहद महत्वपूर्ण मामला है और इस मामले के जांच अधिकारी द्वारा इसमें इतनी असंवेदनशीलता और निष्क्रियता बरती जा रही है। आज, सात मामले पूरे दो सत्र तक पड़े रह गए।”

अदालत ने कहा कि जांच अधिकारी को “चौकस” रहना चाहिए क्योंकि पहले ही इस मामले में काफी समय दिया जा चुका है। जमानत याचिकाएं काफी समय से लंबित पड़ी हैं।

अदालत ने इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख 14 सितंबर तय की है।

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