नयी दिल्ली, 10 जुलाई उत्तर पूर्वी दिल्ली में फरवरी में हुई सांप्रदायिक हिंसा के दौरान कथित तौर पर अवैध रूप से आयोजित एक सभा में भाग लेने के संबंध में तीन अलग अलग मामलों में दायर आरोप पत्रों में नामजद एक व्यक्ति की अग्रिम जमानत याचिका को दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को खारिज कर दिया।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव ने तीन अलग मामलों में दायर अग्रिम जमानत याचिकाओं को यह कहकर खारिज कर दिया कि प्रथम दृष्टया मिले साक्ष्यों के अनुसार दंगों में याचिकाकर्ता की कथित संलिप्तता जाहिर होती है।
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वीडियो कांफ्रेंस के जरिये हुई सुनवाई के दौरान विशेष लोक अभियोजक सलीम अहमद ने अदालत को बताया कि आरोप पत्रों के विवरण के अनुसार तीनों मामलों में शिकायतकर्ताओं ने कथित तौर पर राज की उस भीड़ के हिस्से के रूप में पहचान की है जिसने शास्त्री पार्क क्षेत्र में उनके घरों को क्षतिग्रस्त किया था।
वकील ने कहा कि अब्दुल नजीर, मोहम्मद इरशाद और महबूब हसन ने अलग-अलग यह पहचान की है कि राज कथित तौर पर उस अवैध सभा का भी हिस्सा था जिसने पुराने गढ़ी मेंदु गांव में कई घरों को क्षतिग्रस्त किया था।
राज की ओर से पेश हुए वकील चौधरी राजिंदर सिंह ने अदालत को बताया कि उसी क्षेत्र का निवासी होने के कारण राज को फंसाया जा रहा है।
सिंह ने कहा कि राज न तो अवैध सभा का हिस्सा था न उसने दंगों में भाग लिया और उसे तीन मामलों में गलत तरीके से फंसाया जा रहा है।
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