नयी दिल्ली, नौ जनवरी दिल्ली उच्च न्यायालय ने भुगतान ऐप भारत-पे के सह संस्थापक अशनीर ग्रोवर को सलाह दी कि वे एक दूसरे के प्रति विनम्र रहें। ग्रोवर अब कंपनी से अलग हो गए हैं।
न्यायमूर्ति नवीन चावला ने पूर्व प्रबंध निदेशक (एमडी) ग्रोवर और उनके परिवार के सदस्यों को मानहानिकारक बयान देने से रोकने के लिए भारत-पे की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए इसके लिए सोशल मीडिया को जिम्मेदार ठहराया। इसके साथ ही अदालत ने विभिन्न पक्षों के वकीलों को अपने-अपने मुवक्किलों को ‘परामर्श देने को कहा।
वादी कंपनी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि ग्रोवर का मामला लंबित होने के बावजूद वह आपत्तिजनक बयान दे रहे हैं। इसपर ग्रोवर के वकील ने कहा कि ‘‘दोनों तरफ से छींटाकशी, आरोप और मानहानि की जा रही है’’और दावा किया कि वादी की ओर से यहां तक सूचनांए लीक की जा रही हैं।
अदालत ने टिप्पणी की, ‘‘ वास्तव में सोशल मीडिया के कारण यह स्थिति हुई है। हम यहां क्या कर रहे हैं? दोनों को एक दूसरे के प्रति विनम्रता रखनी चाहिए...आप अलग हो चुके हैं, मुकदमे पर पक्ष रखें।’’
अदालत ने ग्रोवर के वकील से कहा, ‘‘उन्हें (ग्रोवर को)सलाह दें। अगर कुछ है तो आप माननीय (राजीव) नायर (जो भारत पे की ओर से पेश हुए) को कहें कि उनके मुवक्किल ने यह किया है। वह अपने मुवक्किल को सलाह देंगे।’’
ग्रोवर के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल ने मध्यस्थता के लिए आवेदन दाखिल किया है और कंपनी द्वारा अपने अधिकारियों का समर्थन हेतु कथित मानहानि का मुकदमा दायर नहीं किया जा सकता जबकि उन्होंने हमेशा कंपनी की प्रशंसा की है।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)