दिल्ली की अदालत ने नाबालिग से अप्राकृतिक यौनाचार के दोषी अशिक्षित व्यक्ति की जेल की सजा घटाई
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: File Photo)

नयी दिल्ली, 24 सितंबर : दिल्ली की एक अदालत ने आठ साल के बच्चे के साथ अप्राकृतिक यौनाचार के दोषी एक व्यक्ति की दोषसिद्धि बरकरार रखी है लेकिन उसकी जेल की अवधि यह कहकर तीन साल से घटाकर 18 महीने कर दी कि घटना के समय उसकी उम्र लगभग 19 वर्ष थी और वह एक अनपढ़ व्यक्ति है. दोषी धर्मेंद्र ने मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के मई 2019 के फैसले को चुनौती दी थी जिसमें उसे धारा 377 (अप्राकृतिक यौन अपराध) के तहत दोषी ठहराया गया था, जिसमें तीन साल के कारावास की सजा सुनाई गई थी और पीड़ित को 50,000 रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया था.फैसले को बरकरार रखते हुए, प्रधान जिला और सत्र न्यायाधीश धर्मेश शर्मा ने कहा कि नाबालिग पीड़िता की गवाही वास्तविक थी और इसका कोई सबूत नहीं है कि बच्चे को सिखाया गया था या उसका उस व्यक्ति को झूठा फंसाने का कोई मकसद था.

न्यायाधीश ने कहा कि यह एक ऐसा मामला है जहां दोषी ने नाबालिग लड़के के साथ अप्राकृतिक यौनाचार किया और उसे अत्यधिक शारीरिक और मानसिक पीड़ा दी. न्यायाधीश ने आठ सितंबर को एक आदेश में कहा, "मुझे अपील में कोई मेरिट नहीं मिलती है और तदनुसार इसे खारिज किया जाता है और आईपीसी की धारा 377 के तहत दोषसिद्धि को बरकरार रखा जाता है." अदालत ने 23 सितंबर को उसकी सजा पर आदेश पारित किया.न्यायाधीश ने, हालांकि, जेल की अवधि को कम करते हुए कहा, "यह ध्यान में रखते हुए कि घटना के समय याचिकाकर्ता की आयु लगभग 19 वर्ष थी, और वह एक अनपढ़ व्यक्ति है, तीन साल के कठोर कारावास की सजा की अवधि को घटाकर इसे 18 महीने किया जाता है.” यह भी पढ़ें : घाना ने भारत-निर्मित टीके ‘कोविशील्ड’ को मान्यता नहीं देने वाले यूरोपीय देशों की आलोचना की

न्यायिक रिकॉर्ड के अनुसार, दोषी पहले ही आठ महीने और 13 दिनों की जेल की सजा काट चुका है. उसे जून 2008 में न्यायिक हिरासत में भेजा गया था और फरवरी 2009 में जमानत पर रिहा कर दिया गया था. अभियोजन पक्ष के अनुसार घटना 16 मार्च 2008 की शाम की है, जब धर्मेंद्र ने पश्चिमी दिल्ली के एक गांव के एक घर में नाबालिग का यौन शोषण किया.