देश की खबरें | दिल्ली की अदालत ने व्यक्ति को बलात्कार के मामले में बरी किया

नयी दिल्ली, 14 जुलाई दिल्ली की एक अदालत ने एक व्यक्ति को नौ साल से अधिक समय बाद बलात्कार के आरोप से बरी कर दिया और कहा कि कथित पीड़िता की गवाही स्पष्ट, ठोस, विश्वसनीय या भरोसेमंद नहीं है और न ही उसके आरोपों की अन्य भौतिक साक्ष्यों से पुष्टि हुई।

आरोपी महेंद्र के खिलाफ मामले की सुनवाई तीस हजारी जिला अदालत की अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश प्रियंका भगत कर रही थीं। महेंद्र के खिलाफ सब्जी मंडी पुलिस थाने ने बलात्कार और आपराधिक धमकी के दंडात्मक प्रावधानों के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की थी।

अभियोजन पक्ष के अनुसार, युवती को 2014 में महेंद्र नैनीताल ले गया जहां उसने उसके खाने में नशीला पदार्थ मिला दिया, बेहोश होने के बाद उसने उससे बलात्कार किया और इस कृत्य का वीडियो भी बनाया।

युवती ने दावा किया कि दिल्ली लौटने के बाद आरोपी ने वीडियो क्लिप को प्रसारित करने की धमकी दी और उसे बंधक बनाकर एक निर्माणाधीन इमारत में फिर से बलात्कार किया।

अदालत ने नौ जुलाई को अपने फैसले में कहा, "...अभियोजन पक्ष के गवाह 12 या पीड़िता की गवाही स्पष्ट, ठोस, विश्वसनीय और भरोसेमंद नहीं है और अन्य भौतिक साक्ष्यों से भी इसकी पुष्टि नहीं होती है।"

पीठ ने कहा, "उपरोक्त कारणों से, इस अदालत का मानना ​​है कि अभियोजन पक्ष आरोपी के खिलाफ उचित संदेह से परे मामला साबित करने में विफल रहा है। इसलिए, आरोपी महेंद्र को बरी किया जाता है।"

अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष का पूरा मामला युवती के बयान पर आधारित था, अदालत ने कहा कि उसके खाने में नशीला पदार्थ मिलाने की घटना के बारे में उसके बयान में कुछ बड़े विरोधाभास थे, जिससे उसके बयानों की विश्वसनीयता प्रभावित हुई।

अदालत ने कहा कि उसकी गवाही में भी कुछ बदलाव हुआ है।

अदालत ने कहा, "अभियोजन पक्ष का पूरा मामला यह है कि युवती को इस आधार पर ब्लैकमेल करके बार-बार बलात्कार किया गया कि आरोपी महेंद्र उक्त वीडियो को वायरल कर देगा, हालांकि, अभियोजन पक्ष द्वारा उक्त वीडियो को कभी साक्ष्य में नहीं लाया गया।"

निर्माणाधीन इमारत में बलात्कार के आरोपों के संबंध में अदालत ने कथित पीड़िता की गवाही पर गौर किया, जिसमें उसने स्वीकार किया कि जब वह महेंद्र से मिलने गई थी, तो वहां काम कर रहे अन्य लोग भी मौजूद थे।

अदालत ने कहा, ‘‘इस प्रकार युवती का यह कथन कि उसके साथ एक ऐसी इमारत में बलात्कार किया गया, जहां अन्य लोग भी काम कर रहे थे, संभावित नहीं है, खासकर तब जब युवती भी अपनी शिकायत में बताये अनुसार रो रही थी।"

इसमें कहा गया है, "गवाहों के बयानों में दिखायी देने वाले विरोधाभास और विसंगतियां अभियोजन पक्ष की कहानी पर गंभीर संदेह पैदा करती हैं। पीड़िता द्वारा रिकॉर्ड पर लाए गए बयान की पुष्टि रिकॉर्ड पर लाए गए किसी अन्य साक्ष्य से भी नहीं होती है।"

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