इस साल मुंबई में अदालतों के फैसले: नरेश गोयल को भेजा गया जेल, सूरज पंचोली बरी हुए
Court | Photo Credits: Twitter

मुंबई, 29 दिसंबर: जेट एयरवेज के संस्थापक नरेश गोयल को एक ऋण धोखाधड़ी मामले में न्यायिक हिरासत में भेजा जाना, 2018 के एल्गार परिषद-माओवादी संपर्क मामले में दो आरोपियों को जमानत मिलना और जिया खान खुदकुशी मामले में अभिनेता सूरज पंचोली को बरी किया जाना इस साल मुंबई में अदालतों के प्रमुख फैसलों में शामिल रहे. बंबई उच्च न्यायालय ने सितंबर 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित को दो जनवरी को बरी करने से इनकार करते हुए कहा था कि वह अपने बचाव में किए गए दावे के मुताबिक विस्फोट की साजिश के लिए हुई बैठकों में कथित रूप से शामिल हुए थे और अपनी आधिकारिक ड्यूटी नहीं कर रहे थे.

इस वर्ष एक विशेष एनआईए अदालत में मामले में साक्ष्यों को दर्ज करने की प्रक्रिया पूरी हुई। अदालत अब पुरोहित और भाजपा सांसद प्रज्ञा ठाकुर समेत सात आरोपियों के बयान दर्ज कर रही है. इसके अलावा जनवरी में, उच्च न्यायालय ने ऋण धोखाधड़ी मामले में आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर की ‘आकस्मिक और यांत्रिक तरीके से’ गिरफ्तारी के लिए सीबीआई से अप्रसन्नता जताई थी और दंपति को जमानत दे दी थी.

उच्च न्यायालय ने फरवरी में मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन के लिए भूमि अधिग्रहण के खिलाफ गोदरेज एंड बॉयसे की याचिका खारिज करते हुए कहा था कि यह राष्ट्रीय महत्व की परियोजना है जो जनहित के लिए है. उच्च न्यायालय ने न्यायपालिका के खिलाफ बयानों के लिए केंद्रीय मंत्री किरेन रीजीजू तथा उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ कार्रवाई के अनुरोध वाली जनहित याचिका को 21 फरवरी को खारिज कर दिया था. अदालत ने कहा था कि लोगों के बयानों से उच्चतम न्यायालय की साख नहीं गिरती.

उसी महीने में उच्च न्यायालय ने अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी और उनसे अलग रह रहीं उनकी पत्नी को उनके दो नाबालिग बच्चों से जुड़े विवाद को आपस में सुलझाने का निर्देश दिया था। नवाज ने अदालत से अनुरोध किया था कि उनकी पत्नी को बच्चों का अता-पता बताने का निर्देश दिया जाए। बाद में दंपति ने अदालत को बताया कि उन्होंने इस मामले को सुलझा लिया है. बंबई उच्च न्यायालय की वेबसाइट पर एक मार्च से फैसलों का मराठी अनुवाद उपलब्ध किया जाने लगा.

उच्च न्यायालय ने 30 मार्च को अभिनेता सलमान खान के खिलाफ कथित दुर्व्यवहार की एक पत्रकार की 2019 में की गई शिकायत को खारिज कर दिया. एक विशेष सीबीआई अदालत ने 28 अप्रैल को अभिनेता सूरज पंचोली को उस मामले में बरी कर दिया जिसमें उन पर अभिनेत्री जिया खान को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप था. अमेरिकी नागरिक जिया (25) तीन जून, 2013 को मुंबई में अपने घर पर मृत मिली थीं.

उच्च न्यायालय ने जून में दो लोगों और उनके संगठनों को टीका विनिर्माता कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के खिलाफ सोशल मीडिया पर डाली गई सामग्री हटाने का निर्देश दिया था और कहा था कि यह विषयवस्तु प्रथमदृष्टया मानहानि करने वाली है. उच्च न्यायालय ने जुलाई में महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री नवाब मलिक को चिकित्सा आधार पर जमानत देने से मना कर दिया जिन्हें कथित धनशोधन मामले में गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद मलिक को उच्चतम न्यायालय से जमानत मिल गई और वह डेढ़ साल बाद जेल से बाहर आए.

अगस्त महीने में न्यायमूर्ति रोहित देव ने उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ में एक खुली अदालत में अपने इस्तीफे की घोषणा की। उन्होंने कारण नहीं बताया लेकिन कहा कि वह अपने आत्मसम्मान के विरुद्ध काम नहीं कर सकते. उच्च न्यायालय ने एल्गार परिषद-माओवादी संपर्क मामले में सामाजिक कार्यकर्ता महेश राउत को सितंबर में जमानत दे दी थी और कहा था कि उनके खिलाफ सबूत कहे-सुने हैं और राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) कोई साक्ष्य पेश नहीं कर सका.

उच्च न्यायालय ने दिसंबर में इसी मामले में गौतम नवलखा को जमानत दे दी और कहा कि प्रथम दृष्टया इस बात का कोई सबूत नहीं है कि उन्होंने किसी आतंकी कृत्य के लिए साजिश रची थी या उसे अंजाम दिया था. एक विशेष पीएमएलए अदालत ने दो सितंबर को केनरा बैंक में 538 करोड़ रुपये के कथित ऋण धोखाधड़ी मामले में जेट एयरवेज के संस्थापक नरेश गोयल को न्यायिक हिरासत में भेज दिया. बाद में उनके खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया था.

नवंबर में, उच्च न्यायालय ने गोयल द्वारा उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी, जबकि उनकी जमानत याचिका विशेष अदालत के समक्ष लंबित है. एक मजिस्ट्रेट अदालत ने 2021 में मुंबई में एक कार्यक्रम में कथित तौर पर राष्ट्रगान का अपमान करने के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ एक भाजपा कार्यकर्ता द्वारा दायर शिकायत को 30 अक्टूबर को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि ‘‘कोई अपराध नहीं बनता’’.

वर्ष के अंत में, बंबई उच्च न्यायालय ने दो मुद्दों पर स्वत: संज्ञान लिया। इनमें एक मुद्दा सरकारी अस्पतालों में मौत के मामलों की बढ़ती संख्या और दूसरा मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) का गिरता स्तर है। दोनों मामलों में उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार को कई निर्देश दिए.

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)