नयी दिल्ली, एक जून राष्ट्रीय हरित अधिकरण के समक्ष दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने यमुना के पुनरुद्धार के लिए विशेष उद्देश्य कोष (एसपीवी) स्थापित करने में अपनी असमर्थता जताई है।
डीडीए ने अधिकरण को बताया कि विशेष उद्देश्य कोष के तौर पर अलग कानूनी इकाई स्थापित करने पर दिल्ली विकास अधिनियम-1957 के तहत कानूनी अड़चनें हैं।
उल्लेखनीय है कि एनजीटी ने मार्च महीने में डीडीए को निर्देश देते हुए कहा था कि वह यमुना के पुनरुद्धार के लिए दो हफ्ते में विशेष उद्देश्य कोष की स्थापना कर सकता है।
डीडीए ने कहा कि अधिकरण द्वारा अपने आदेश में ‘कर सकता है’ शब्द का इस्तेमाल किया है। इस प्रकार यह माना जाता है कि डीडीए को सभी परिस्थियों का संज्ञान लेते हुए इस पर विचार करना चाहिए कि विशेष उद्देश्य कोष की स्थापना करनी चाहिए या नहीं।
प्राधिकरण ने कहा, ‘‘डीडीए अधिनियम के धारा-52 के प्रावधानों के तहत डीडीए केवल अधिकारियों, स्थानीय प्राधिकरण और समितियों को ही अधिकार हस्तांतरित कर सकता है। कानून में सोसाइटी बनाने या विशेष उद्देश्य कोष बनाने या धारा-52 में उल्लेखित व्यक्तियों के अलावा शक्तियों को दूसरे को हस्तांतरित करने का प्रावधान नहीं है।
विकास प्राधिकरण ने कहा, ‘‘डीडीए का गठन डीडीए अधिनियम के तहत हुआ है और वह कानूनों के परे जाकर कार्य नहीं कर सकता है। यहां बताना उचित होगा कि यमुना नदी के हालात पर नजर रखने के लिए पहले ही व्यवस्था है। इनमें ऊपरी यमुना नदी बोर्ड और यमुना नदी के नवीनीकरण एवं पुनरुद्धार के लिए एकीकृत केंद्र है।’’
अधिवक्ता कुश शर्मा की ओर से दाखिल रिपोर्ट में कहा गया कि स्थायी प्रावधानों के चलते डीडीए विशेष उद्देश्य कोष स्थापित करने की स्थिति में नहीं है।
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