नयी दिल्ली, 18 जुलाई : भारत के तेजी से कृत्रिम बुद्धिमत्ता को अपनाने के बीच साइबर सुरक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों को उम्मीद है कि आगामी केंद्रीय बजट में धन के आवंटन के माध्यम से देश के डिजिटल क्षेत्र की सुरक्षा को बढ़ावा देने के उपाय शामिल होंगे. ‘इनेफू लैब्स’ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और सह-संस्थापक तरुण विग ने कहा कि दुनियाभर का ध्यान कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) पर केंद्रित होना भारत के लिए महत्वपूर्ण है. विग ने कहा, ‘‘एआई और एमएल (मशीन लर्निंग) मॉडल सॉफ्टवेयर पर कोई भी हमला होने से रोकने तथा उसकी पहचान करने में मददगार हो सकता है. लेकिन इसके लिए शीर्ष साइबर प्रतिभा को पोषित करने व बनाए रखने और साइबर सुरक्षा के लिए एआई मॉडल के प्रशिक्षण में निवेश करने के लिए कंपनियों को सशक्त बनाने के वास्ते सरकार के सहयोग की आवश्यकता होगी.’’
उन्होंने कहा कि जब अन्य देश अपने एआई बुनियादी ढांचे के निर्माण में व्यस्त हैं तो भारत को एआई के इष्टतम उपयोग को प्राथमिकता देनी चाहिए जिसमें हमारी रक्षा और खुफिया स्थिति में सुधार लाने, साइबर अपराधों को कम करने, धन शोधन के नेटवर्क की पहचान करने या शासन को देश के दूर दराज के गांवों तक ले जाने के लिए एआई और एमएल मॉडल को प्रशिक्षित करना शामिल हो सकता है. विग ने कहा, ‘‘केवल शिक्षा जगत के अलावा निजी क्षेत्र की सिद्ध कंपनियों के लिए अनुसंधान और विकास पहल के लिए सरकारी सहयोग मिलने से काफी मदद मिलेगी. यह एक डिजिटल माहौल को बढ़ावा देगा जो एआई तथा अन्य उभरती प्रौद्योगिकियों में भविष्य की प्रगति को बढ़ावा दे सकता है.’’ सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के अंतरिम बजट में उभरती हुई प्रौद्योगिकी में अनुसंधान एवं विकास के लिए एक लाख करोड़ रुपये के फंड की घोषणा की थी. यह भी पढ़ें : CM मोहन यादव ने राजस्व महा-अभियान 2.0 का वर्चुअल शुभारंभ किया
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और नवोन्मेष उन्मुख उद्यमिता उत्कृष्टता केंद्र के सह-संस्थापक शशांक शेखर ने कहा कि साइबर सुरक्षा पर निवेश डिजिटल अर्थव्यवस्थाओं के लिए निवेश के समान है. उन्होंने कहा कि भारत दुनियाभर में साइबर हमलों का शिकार बनने वाले देशों में से एक है. शेखर ने कहा, ‘‘जहां सरकार देश के प्रत्येक नागरिक को डिजिटल रूप से सशक्त बनाने का प्रयास कर रही है, वहीं उन्हें सुरक्षित करना भी जरूरी हो जाता है. हम सरकार से अनुरोध करते हैं कि 2047 तक विकसित भारत की आकांक्षा को पूरा करने के लिए ‘साइबर सुरक्षा क्षेत्र में भारतीय अग्रणी’ बनाने पर विचार करें.’’