देश की खबरें | वारियर के खिलाफ अखबारों में माकपा का विज्ञापन ‘सांप्रदायिक’ : कांग्रेस

पलक्कड़,19 नवंबर केरल में कांग्रेस नीत संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का साथ छोड़ उसके साथ आए संदीप वारियर को लेकर दो अखबारों में सत्तारूढ़ माकपा द्वारा दिये गए विज्ञापन की मंगलवार को आलोचना की ओर उसे ‘‘सांप्रदायिक’’ और हताशा में उठाया गया कदम करार दिया।

विज्ञापन में वारियर द्वारा कथित तौर पर भाजपा में रहते हुए किये गए कई सोशल मीडिया पोस्ट के ‘स्क्रीनशॉट’ शामिल थे।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने अपने कदम का बचाव करते हुए कहा कि उसने कई अंग्रेजी और मलयालम अखबारों में विज्ञापन दिया और इसके पीछे मंशा यह बताना था कि कांग्रेस ने एक ऐसे व्यक्ति को अपने पाले में ले लिया है जिसकी मानसिकता सांप्रदायिक है, क्योंकि वारियर ने अपने पिछले कांग्रेस विरोधी और कथित रूप से गैर-धर्मनिरपेक्ष पोस्ट को नहीं हटाया है।

माकपा के आरोपों को खारिज करते हुए केरल प्रदेश कांग्रेस समिति (केपीसीसी) प्रमुख के. सुधाकरन ने कहा कि यह विज्ञापन राज्य में सत्तारूढ़ दल की ‘हताशा’ का संकेत है।

उन्होंने कहा, ‘‘शुरू में वे उन्हें (वारियर को) अपने पाले में करना चाहते थे। ए. के. बालन सहित उनके कई नेता उन्हें पवित्र आत्मा कहते थे। अब उन्होंने अपना सुर बदल लिया है।’’ सुधारकरन ने कहा कि माकपा ‘‘बेशर्म’’ है।

पलक्कड़ उपचुनाव में यूडीएफ उम्मीदवार राहुल ममकूटाथिल ने सवाल किया, “क्या माकपा नहीं चाहती कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लोग अपनी सांप्रदायिक मानसिकता छोड़ दें और धर्मनिरपेक्ष बनें? क्या यह अच्छी बात नहीं है कि एक व्यक्ति ने संघ और उसके सांप्रदायिक विचारों को छोड़कर धर्मनिरपेक्ष रुख अपनाया है?”

उन्होंने कहा, “मैं समझ सकता हूं कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के. सुरेंद्रन क्यों चाहते हैं कि संघ मजबूत हो, लेकिन केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन और राज्य के आबकारी मंत्री एम.बी. राजेश ऐसा क्यों चाहते हैं?’’

युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ममकूटाथिल ने सवाल किया, “निर्वाचन आयोग ने ऐसे स्पष्टतः सांप्रदायिक विज्ञापन की अनुमति कैसे दी?” उन्होंने कहा कि यदि माकपा वारियर को अपने पाले में ले आने में सफल होती तो विज्ञापनों में कहा जाता - “साम्प्रदायिकता से साम्यवाद की ओर”।

ममकूटाथिल के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए केरल सरकार के मंत्री राजेश ने कहा कि उनकी टिप्पणी इंगित करती है कि कांग्रेस और यूडीएफ पलक्कड़ में अपनी आसन्न हार से भयभीत हैं। उन्होंने कहा, “इससे स्पष्ट हो गया है कि उन्होंने अपनी हार स्वीकार कर ली है।”

राजेश ने सवाल उठाया कि कांग्रेस के खिलाफ वारियर की पोस्ट अभी तक क्यों नहीं हटाई गईं? उन्होंने कहा कि देश की सबसे पुरानी पार्टी को कम से कम उनसे कांग्रेस में शामिल होने से पहले उक्त पोस्ट को हटाने के लिए कहना चाहिए था।

मंत्री ने कहा, “इससे पता चलता है कि वह अब भी संघ कार्यकर्ता हैं। वह ऐसे व्यक्ति हैं जिनका कांग्रेस ने स्वागत किया है। इसलिए अगर हम इस ओर इशारा करते हैं तो यह सांप्रदायिक कैसे हो सकता है।”

इस बीच, वारियर ने माकपा के विज्ञापनों को ‘काफिर स्क्रीनशॉट’ के समान करार दिया जो इस वर्ष की शुरुआत में वडकारा निर्वाचन क्षेत्र में लोकसभा चुनाव से पहले प्रसारित किया गया था।

उन्होंने कहा कि अगर भाजपा उनके पार्टी छोड़ने और कांग्रेस में शामिल होने से दुखी है तो वह समझ सकते हैं, ‘‘लेकिन माकपा इस पर इतनी चिंतित क्यों है?’’

वारियर ने दावा किया, ‘‘मेरा मानना ​​है कि विज्ञापन के लिए भाजपा ने ही भुगतान किया है।’’

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)