नयी दिल्ली, आठ अक्टूबर माकपा ने लद्दाख को छठी अनुसूची का दर्जा देने की मांग को लेकर रविवार दोपहर से अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक और अन्य के साथ मंगलवार को एकजुटता व्यक्त की।
वांगचुक और उनके समर्थकों ने रविवार को यहां लद्दाख भवन में चार अक्टूबर को अनिश्चितकालीन अनशन शुरू कर दिया था, क्योंकि उन्हें शीर्ष नेतृत्व - राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व गृह मंत्री - से मिलने का समय नहीं दिया गया था।
मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी (माकपा) ने एक बयान में कहा, “ माकपा (लद्दाख के लिए) छठी अनुसूची के दर्जे के लिए अपना समर्थन व्यक्त करती है और मांग करती है कि सरकार के संबंधित मंत्री तुरंत सोनम वांगचुक और उनकी टीम से मिलें और इस मुद्दे को हल करें।”
बयान में कहा गया है कि यह मोदी सरकार की तानाशाही प्रकृति को दर्शाता है कि लद्दाख के 150 कार्यकर्ताओं को राष्ट्रीय राजधानी तक शांतिपूर्ण पदयात्रा के बाद धरने पर बैठने की अनुमति नहीं दी गई।
माकपा ने कहा, “इसके बजाय, उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया, उनके साथ बुरा व्यवहार किया गया और अब उन्हें लद्दाख भवन में नजरबंद कर दिया गया है, जहां उन्होंने अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू कर दी है।”
वाम दल ने दावा किया कि भाजपा ने अपने 2019 के चुनाव घोषणापत्र में कॉर्पोरेट खनन कंपनियों और अन्य निजी परियोजनाओं से लद्दाख की भूमि की रक्षा के लिए छठी अनुसूची के दर्जे का वादा किया था।
माकपा पोलित ब्यूरो सदस्य वृंदा करात और राज्यसभा सदस्य जॉन ब्रिटास ने सोमवार को लद्दाख भवन में वांगचुक और लद्दाख के अन्य निवासियों से मुलाकात की।
अपनी मांगों को लेकर लेह से दिल्ली तक मार्च करने वाले वांगचुक और उनके समर्थकों को 30 सितंबर को सिंघू बॉर्डर पर हिरासत में लिया गया था और दो अक्टूबर को रिहा कर दिया गया था।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)