जोहानिसबर्ग, 12 मार्च : नये कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 और इसकी बीमारी, कोविड-19 को वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित हुए दो साल हो चुके हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन को मिली जानकारी के अनुसार इस अवधि के दौरान कोविड-19 के 43.3 करोड़ से अधिक मामले सामने आए हैं, जिनमें 60 लाख से अधिक मौतें शामिल हैं. महामारी ने दुनिया भर में लॉकडाउन, बीमारी और जनहानि के जरिये जीवन को बदल दिया. इसने जीवन रक्षक अनुसंधान और विश्लेषण को भी बढ़ावा दिया. द कन्वरसेशन अफ्रीका आपके लिए कोरोना वायरस के विभिन्न स्वरूपों, टीकों, लॉकडाउन और इसके प्रभावों और स्वास्थ्य प्रणालियों, नीति निर्माण और मानवता के बारे में क्या सीखा वह आपके सामने लाया है.
उत्परिवर्तन
दिसंबर 2019 में चीन ने कोरोना वायरस के कारण रहस्यमय मौतों की सूचना दी. दुनिया भर के अन्य देशों की तरह, अफ्रीका के देशों ने संभावित मामलों की जांच करने और उनसे निपटने के लिए व्यवस्था लगाना शुरू कर दिया. उस समय वायरस के बारे में इसकी जानकारी बहुत कम थी कि यह कहां से आया था. अब, दो साल बाद, महामारी की उत्पत्ति अभी भी अज्ञात है और सार्स-सीओवी-2 ने कई स्वरूप सामने आये हैं. अगस्त 2021 में प्रकाशित इस लेख ने दक्षिण अफ्रीका में नेटवर्क फॉर जीनोमिक्स सर्विलांस के माध्यम से मार्च 2020 से सार्स-सीओवी-2 में हुए परिवर्तनों का पता लगाया. यह भी पढ़ें :
दक्षिण अफ्रीका व्यवस्थित और समन्वित जीनोमिक निगरानी शुरू करने वाले पहले देशों में से एक था. इसके तहत विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों के रोगी नमूनों में से सार्स-सीओवी-2 के जीनोम अनुक्रमण की जांच की जाती थी. इन परिवर्तनों को समझना महत्वपूर्ण था क्योंकि वायरस उत्परिवर्तित हो रहा था और डेल्टा स्वरूप के चलते अधिक संक्रमण हुआ और अधिक लोग बीमार हुए. अगस्त 2021 के अंत तक दक्षिणी अफ्रीका में 90 प्रतिशत से अधिक मामलों के लिए डेल्टा स्वरूप जिम्मेदार था. यह एक चिंता का विषय था क्योंकि इसमें उत्परिवर्तन थे जिससे यह तेजी से फैला. साथ ही डेल्टा वह स्वरूप था जिसके चलते सबसे अधिक कोविड मौते हुईं. नवंबर 2021 में दक्षिण अफ्रीका के वैज्ञानिकों ने ओमीक्रोन स्वरूप का पता लगाया. अनिश्चितता के बीच, अन्य देशों ने दक्षिण अफ्रीका के लिए और वहां से यात्रा को बंद कर दिया. ‘द कन्वर्सेशन वीकली’ के सहयोगियों ने ओमीक्रोन की खोज की आंतरिक कहानी के बारे में दक्षिण अफ्रीकी वैज्ञानिकों से बात की.
लहर
कोविड-19 महामारी के प्रकोप के बाद से, दुनिया भर में और साथ ही अलग-अलग देशों में संक्रमण मामलों की संख्या में कई बार बढ़ोतरी और गिरावट देखी गई है.
टीका
इस महामारी का मुख्य बिंदु यह है कि कितनी जल्दी प्रभावी टीके विकसित और तैयार किए गए. लेकिन उत्पादन और वितरण की असमानता ने नाराजगी उत्पन्न की. इसने बाहरी सरकारों, दाताओं और बहुराष्ट्रीय संगठनों पर अफ्रीका की निर्भरता को सुर्खियों में ला दिया. महामारी की अवधि के लिए कोविड टीकों पर बौद्धिक संपदा अधिकारों को निलंबित करने के लिए भारत के साथ दक्षिण अफ्रीका ने विश्व व्यापार संगठन में पैरवी का बीड़ा उठाया. विकसित देशों ने दिसंबर 2020 से ही लोगों को कोविड-19 रोधी टीके लगाना शुरू कर दिया था. लेकिन विकासशील देशों, जिनमें अफ्रीका भी शामिल है, को टीके पहुंच प्राप्त करने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा. टीका तक पहुंच एक समस्या बनी हुई है. अफ्रीकी देशों के पास खुद के टीके बनाने की क्षमता नहीं है. इस चुनौती से निपटने के लिए कई विचार रखे गए हैं.