नयी दिल्ली, तीन अगस्त दिल्ली उच्च न्यायालय ने भाजपा नेता सैयद शाहनवाज हुसैन के खिलाफ बलात्कार और आपराधिक धमकी का आरोप लगाने वाली शिकायत में पुलिस द्वारा दाखिल ‘‘प्राथमिकी रद्द करने संबंधी रिपोर्ट’’ स्वीकार करने के अधीनस्थ अदालत के आदेश को बरकरार रखा है।
न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा ने कहा कि अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) द्वारा पारित आदेश में कोई त्रुटि नहीं है और उन्होंने दिसंबर 2023 के आदेश को चुनौती देने वाली शिकायतकर्ता की पुनरीक्षण याचिका को खारिज कर दिया।
उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘वर्तमान मामले में, जांच के दौरान जुटाये गए दस्तावेजी और वैज्ञानिक साक्ष्य, जिसके अनुसार कथित घटना की तारीख को कथित घटनास्थल पर प्रतिवादी संख्या दो (हुसैन) और शिकायतकर्ता की उपस्थिति...पूरी तरह से खारिज हो जाती है, कथित अपराध के घटित हुए होने की संभावना शून्य हो जाती है।’’
उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को पारित आदेश में कहा, ‘‘इसलिए, निरस्तीकरण रिपोर्ट को स्वीकार करने में न्यायाधीश के निष्कर्ष को बरकरार रखा जाए। इन चर्चाओं के मद्देनजर, 16 दिसंबर 2023 के विवादित आदेश में कोई त्रुटि नहीं है और पुनरीक्षण याचिका खारिज की जाती है।’’
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि हुसैन ने उसे नशीला पदार्थ दिया और अप्रैल 2018 में राष्ट्रीय राजधानी के एक फार्महाउस में उसके साथ बलात्कार किया।
पुलिस ने प्राथमिकी रद्द करने का अनुरोध करते हुए अदालत में एक रिपोर्ट दाखिल की थी।
प्राथमिकी रद्द करने संबंधी रिपोर्ट को मजिस्ट्रेट अदालत ने मंजूरी नहीं दी, जिसने कथित अपराध का संज्ञान लिया था और मामले में हुसैन को तलब किया था।
इस आदेश को सत्र अदालत में चुनौती दी गई, जिसने मजिस्ट्रेट अदालत के आदेश को खारिज कर दिया और 16 दिसंबर 2023 को यह रिपोर्ट स्वीकार कर ली।
आदेश से व्यथित होकर शिकायतकर्ता ने उच्च न्यायालय का रुख किया और पुनरीक्षण याचिका दायर की।
उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि न्यायाधीश ने जांच अधिकारी द्वारा की गई पूरी विस्तृत जांच का हवाला दिया था।
जनवरी 2023 में उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय के प्राथमिकी दर्ज करने और जांच शुरू करने के आदेश को चुनौती देने वाली हुसैन की याचिका को खारिज कर दिया था। शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था और कहा था कि कानून के तहत उपलब्ध किसी भी उपाय का हुसैन सहारा ले सकते हैं।
उच्च न्यायालय ने 17 अगस्त, 2022 को हुसैन की वह याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें दिल्ली पुलिस को उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने संबंधी निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें कहा गया था कि 2018 के आदेश में कोई त्रुटि नहीं थी।
वर्ष 2018 में, दिल्ली की एक महिला ने कथित बलात्कार को लेकर हुसैन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का अनुरोध करते हुए निचली अदालत का रुख किया था। हालांकि, भाजपा नेता ने इस आरोप को खारिज कर दिया था।
मजिस्ट्रेट अदालत ने 7 जुलाई 2018 को हुसैन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था, जिसमें कहा गया था कि शिकायत में एक संज्ञेय अपराध बनता है।
इस आदेश को भाजपा नेता ने एक सत्र अदालत में चुनौती दी थी, जिसने उनकी याचिका खारिज कर दी थी।
सुभाष रंजन
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