नयी दिल्ली, पांच अप्रैल उच्चतम न्यायालय बुधवार को एक वकील द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया, जिसमें तमिलनाडु पुलिस द्वारा दर्ज एक प्राथमिकी के संबंध में मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा उसे अग्रिम जमानत देते समय उस पर लगाई गई एक शर्त को चुनौती दी गई है।
वकील के खिलाफ प्रवासी श्रमिकों पर हमलों का दावा करने वाली झूठी सूचना देने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
अधिवक्ता प्रशांत कुमार उमराव के आधिकारिक ट्विटर खाते पर उन्हें उत्तर प्रदेश भाजपा का प्रवक्ता बताया गया है। उमराव को उच्च न्यायालय ने शर्तों के साथ 21 मार्च को अग्रिम जमानत दी थी। इन शर्तों में यह भी शामिल था कि वह 15 दिन के लिए रोजाना सुबह साढ़े दस बजे और शाम साढ़े पांच बजे और उसके बाद पूछताछ के लिए आवश्यक होने पर पुलिस के सामने पेश होंगे।
पुलिस के सामने रोजाना पेशी के लिए उच्च न्यायालय द्वारा लगाई गई शर्त को चुनौती देने वाली उमराव की याचिका को प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला की पीठ के समक्ष तत्काल सूचीबद्ध करने के लिए रखा गया था।
वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने वकील अर्धेन्दुमौली कुमार प्रसाद के साथ पीठ के समक्ष मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने का उल्लेख किया।
लूथरा ने कहा कि उमराव के खिलाफ एक ट्वीट के लिए प्राथमिकी दर्ज की गई थी जिसे उन्होंने हटा दिया था।
उन्होंने शीर्ष अदालत से मामले को कल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का आग्रह किया और अनुरोध मंजूर कर लिया गया।
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