नई दिल्ली, 11 मार्च: उच्चतम न्यायालय (Supreme court) ने द्रमुक सांसद आर एस भारती (DMK MP RS Bharti) की उस याचिका पर तमिलनाडु पुलिस (Tamil Nadu Police) को शुक्रवार को जवाब देने का निर्देश दिया जिसमें कथित तौर पर अनुसूचित जाति के लोगों के बारे में अपमानजनक टिप्पणी करने पर उनके खिलाफ दर्ज मामले रद्द करने से इनकार के मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई है. यह भी पढ़े: Toolkit case: दिल्ली की अदालत ने कार्यकर्ता को प्राप्त गिरफ्तारी से संरक्षण की अवधि बढ़ाई
न्यायमूर्ति एल नागेशवर राव और न्यायमूर्ति एस रवीन्द्र भट्ट की पीठ ने राज्य सभा सांसद की ओर से पेश अधिवक्ता अमित आनंद की याचिका पर गौर किया और अपराध शाखा के सहायक पुलिस आयुक्त तथा शिकायतकर्ता कल्याण सुंदरम को नोटिस जारी किये.
वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए हुई इस कार्यवाही में पीठ ने पुलिस और शिकायतकर्ता को दो सप्ताह के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया.
गौरतलब है कि 22फरवरी को मद्रास उच्च न्यायालय ने मामले को रद्द करने का अनुरोध करने वाली सांसद की याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि प्रथमदृष्टया उन्होंने अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखने वाले लोगों को ‘‘अपमानित’’ किया है.
उच्च न्यायालय ने निचली अदालत को बिना देर किए मामले की रोजाना सुनवाई करने के भी निर्देश दिए थे. उच्चतम न्यायालय में दाखिल याचिका में कहा गया है,‘‘ इस मामले में याचिकाकर्ता द्वारा दिए गए बयान अनुसूचित जाति अथवा अनुसूचित जनजाति के लोगों के प्रति किसी प्रकार के द्वेष, घृणा या दुर्भावना को बढ़ावा नहीं देते. बल्कि याचिकाकर्ता ने केवल उन ऐतिहासिक तथ्यों को रखा कि द्रविड़ विकास आंदोलन जिससे याचिकाकर्ता वर्ष 1960 से जुड़ा हुआ है, उसने तमिलनाडु में अनुसूचितजाति, जनजाति और अन्य वंचित समुदायों के जीवन में सुधार किया है.’’
इसमें कहा गया है कि ऐसा कुछ नहीं है जो यह दिखाता हो कि याचिकाकर्ता की मंशा अनुसूचित जाति अथवा अनुसूचित जनजाति के लोगों के प्रति किसी प्रकार के द्वेष, घृणा या दुर्भावना को बढ़ावा देने की हो.
गौरतलब है कि अथि तमिलार मक्कल काच्चि के नेता कल्याण सुंदरम ने द्रमुक नेता के खिलाफ कथित तौर पर पार्टी के एक कार्यक्रम में भाषण देने के संबंध में प्राथमिकी दर्ज कराई थी.