देश की खबरें | न्यायालय ने मतदाता सूचियों में नाम के दोहराव को लेकर दायर याचिका पर विचार करने से किया इनकार

नयी दिल्ली, 25 नवंबर उच्चतम न्यायालय ने किसी व्यक्ति का नाम विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों की मतदाता सूची में दर्ज रहने की समस्या को दूर करने के लिए निर्वाचन आयोग और राज्य निर्वाचन आयोगों को निर्देश देने के अनुरोध संबंधी जनहित याचिका पर विचार करने से सोमवार को इनकार कर दिया।

प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत सभी प्राधिकारों को इस बारे में निर्देश नहीं जारी कर सकती।

हालांकि, पीठ ने याचिकाकर्ता एवं पंजीकृत राजनीतिक संगठन राष्ट्रवादी आदर्श महासंघ को अपनी शिकायतों के साथ उच्च न्यायालय का रुख करने की छूट दी।

जनहित याचिका में, किसी व्यक्ति का नाम विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों की मतदाता सूची में दर्ज रहने की ‘‘बुराई’’ को रेखांकित करते हुए आरोप लगाया गया है कि इससे देश में चुनावों की शुचिता कमतर होती है।

अधिवक्ता अवध बिहारी कौशिक और उमेश शर्मा ने याचिकाकर्ता की ओर से साफ-सुथरी मतदाता सूची सुनिश्चित करने में न्यायालय के हस्तक्षेप का आग्रह करते हुए कहा कि मौजूदा स्थिति लोकतंत्र के लिए खतरा है।

याचिका में विधि आयोग की 255वीं रिपोर्ट का उल्लेख किया गया है, जिसमें एकीकृत मतदाता सूची की सिफारिश की गई है और मतदाता सूची से ‘आधार’ को जोड़ने संबंधी जन प्रतिनिधित्व अधिनियम में 2021 के संशोधन को रेखांकित किया।

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि इन उपायों के बावजूद, शिथिल कार्यान्वयन के चलते मतदाता सूचियों में नामों का दोहराव है।

जनहित याचिका में कहा गया है, ‘‘याचिकाकर्ता... इस न्यायालय के संज्ञान में मतदाता पहचान-पत्रों और मतदाता सूचियों में प्रविष्टियों के दोहराव की समस्या को लाना चाहता है। ऐसे मामले देशभर में हजारों या शायद लाखों की संख्या में हैं, जो लोकतंत्र के पर्व चुनाव की शुचिता को प्रभावित कर रहे हैं...।’’

शीर्ष अदालत ने कहा कि इस समस्या के समाधान के लिए कानूनी उपाय उपलब्ध हैं।

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