नयी दिल्ली, आठ दिसंबर उच्चतम न्यायालय ने कथित तौर पर भाजपा में शामिल होने को लेकर कांग्रेस के तीन पूर्व विधायकों को अयोग्य करार दिये जाने के मणिपुर विधानसभा के अध्यक्ष के आदेश को बुधवार को रद्द कर दिया।
न्यायमूर्ति यू यू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने अध्यक्ष से मामले पर नए सिरे से फैसला करने को कहा।
पीठ ने कहा, ''हम अपील की अनुमति देते हैं, उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द करते हैं, और पहले के आदेशों या उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश से प्रभावित हुए बिना अध्यक्ष के समक्ष लंबित मामले पर नए सिरे से निर्णय लेने का निर्देश देते हैं।''
पीठ ने कहा, ''चूंकि अध्यक्ष द्वारा पारित आदेश अब रद्द कर दिया गया है, लिहाजा जब तक कि अध्यक्ष द्वारा मामले का निपटारा नहीं किया जाता तब तक विधायक विधान सभा के सदन में मतदाताओं का प्रतिनिधित्व करना जारी रखेंगे''
इस पीठ में न्यायमूर्ति एस रविंद्र भट और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी शामिल थे।
इससे पहले, शीर्ष अदालत ने पहले नोटिस जारी कर अयोग्य विधायकों द्वारा दायर तीन अलग-अलग याचिकाओं पर विधानसभा अध्यक्ष और अन्य से जवाब मांगा था। विधायकों ने अपनी याचिकाओं में उच्च न्यायालय के 2 जून, 2021 के फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें कहा गया था कि अध्यक्ष के समक्ष यह निष्कर्ष निकालने के लिए पर्याप्त सामग्री थी कि उन्होंने स्वेच्छा से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएसी) की सदस्यता छोड़ी।
विधानसभा अध्यक्ष ने अयोग्यता याचिका दायर किए जाने के बाद पिछले साल 18 जून को तीन विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया गया था। अयोग्यता याचिका में आरोप लगाया गया था कि उन्होंने स्वेच्छा से कांग्रेस की सदस्यता छोड़ दी थी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को अपना समर्थन दिया था।
अयोग्यता याचिका में यह आरोप भी लगाया गया था कि उन्होंने भाजपा द्वारा आयोजित राजनीतिक कार्यों व कार्यक्रमों में भाग लिया था।
शीर्ष अदालत क्षेत्रमयम बीरेन सिंह, येंगखोम सुरचंद्र सिंह और सनसाम बीरा सिंह द्वारा दायर तीन अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने मार्च 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल की थी।
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