देश की खबरें | रिश्ते में तल्खी आने पर सहमति आधारित संबंधों के अपराधीकरण के रुझान पर न्यायालय ने चिंता जताई

नयी दिल्ली, 26 नवंबर उच्चतम न्यायालय ने दुष्कर्म और धोखाधड़ी के कथित अपराध के लिए एक व्यक्ति के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को मंगलवार को खारिज कर दिया और रिश्ते में तल्खी आने पर लंबे समय से जारी सहमति आधारित संबंधों का कानून के तहत अपराधीकरण के प्रयास से जुड़े ‘चिंताजनक रुझान’ पर नाखुशी जताई।

यह देखते हुए कि मामले में संबंध नौ वर्षों तक रहे, शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर बहुत देर से इतने लंबे समय तक शारीरिक संबंध को अपराध से जोड़ा जाता है, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति एन कोटिस्वर सिंह की पीठ ने कहा, ‘‘जैसा कि ऊपर चर्चा की गई है, इस न्यायालय द्वारा बड़ी संख्या में इस तरह के मामलों का फैसला करने से स्पष्ट है कि एक चिंताजनक प्रवृत्ति है कि लंबे समय तक चलने वाले सहमति आधारित संबंधों में खटास आने पर, कानून का सहारा लेकर इसे आपराधिक बनाने की कोशिश की जा रही है।’’

शीर्ष अदालत ने एक व्यक्ति द्वारा दायर अपील पर अपना फैसला सुनाया जिसने बंबई उच्च न्यायालय के फरवरी 2018 के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें नवी मुंबई में उसके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की मांग वाली उसकी याचिका खारिज कर दी गई थी।

महिला ने प्राथमिकी दर्ज कराते हुए आरोप लगाया था कि व्यक्ति ने शादी का झूठा वादा कर बार-बार उसका यौन शोषण किया।

शीर्ष अदालत ने इस तथ्य पर गौर किया कि शिकायतकर्ता शादी के लिए बिना किसी जिद के लंबे समय तक शारीरिक संबंध बनाती रही, इससे यह संकेत मिलता है कि पुरुष द्वारा उससे शादी करने के लिए ऐसा कोई वादा किये जाने की संभावना नहीं है, बल्कि इससे यह संकेत मिलता है कि यह रिश्ता सहमति से बना था।

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