नयी दिल्ली, सात दिसंबर उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को दिल्ली-एनसीआर सीमा पर किसानों के प्रदर्शन के दौरान सड़कों को अवरूद्ध किए जाने के खिलाफ नोएडा निवासी महिला की याचिका पर सुनवाई टाल दी।
न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अनुरोध किया कि मामले में ‘‘बदली हुई परिस्थितियों’’ के मद्देनजर सुनवाई टाल दी जाए। इसके बाद पीठ ने जनवरी में मामला सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने सॉलिसिटर जनरल की दलील का विरोध नहीं किया। पीठ ने कहा, ‘‘हाल के कुछ घटनाक्रम के मद्देनजर, संयुक्त रूप से अनुरोध किया गया है कि मामले को टाला जा सकता है। मामले को 11 जनवरी 2022 को सूचीबद्ध किया जाए।’’
तीन कृषि कानूनों के खिलाफ और अन्य मांगों को लेकर किसान आंदोलन कर रहे हैं। तीनों कानून वापस लिए जा चुके हैं।
शीर्ष अदालत ने इससे पहले कहा था कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन करने वाले किसानों को आंदोलन करने का अधिकार है, लेकिन वे अनिश्चितकाल तक सड़कों को अवरुद्ध नहीं कर सकते।
शीर्ष अदालत नोएडा निवासी मोनिका अग्रवाल की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने अवरोधक हटाने का निर्देश देने का अनुरोध करते हुए कहा है कि पहले दिल्ली पहुंचने में 20 मिनट लगते थे और अब दो घंटे से अधिक समय लगता है तथा दिल्ली सीमा पर आंदोलन के कारण इलाके के लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
शीर्ष अदालत ने 23 अगस्त को कहा था कि केंद्र और दिल्ली के पड़ोसी राज्यों को किसानों के आंदोलन के कारण राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर अवरूद्ध सड़क के मुद्दे का समाधान खोजना चाहिए।
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