नयी दिल्ली, एक दिसंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को आम आदमी पार्टी (आप) की अगुवाई वाली सरकार से पूछा कि राष्ट्रीय राजधानी में इस्तेमाल की जा चुकी कोविड-19 जांच किटों के निपटान के लिए क्या दिशा-निर्देश या प्रोटोकॉल हैं और उसके अधिकार क्षेत्र में आने वाले अस्पताल, क्लिनिक एवं डॉक्टर उनका पालन कर रहे हैं या नहीं।
मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने दिल्ली सरकार के अतिरिक्त स्थायी अधिवक्ता संजय घोष एवं वकील नमन जैन से कहा कि वे दिशा-निर्देशों या प्रोटोकॉल और उन्हें जारी करने वाले प्राधिकरण के बारे में मालूम करें और यह भी पता करें क्या उन्हें लागू किया जा रहा है या नहीं।
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पीठ ने दिल्ली सरकार के वकीलों से निर्देश के साथ आने को कहा और मामले को तीन दिसंबर को अगली सुनवाई के लिये सूचीबद्ध कर दिया।
एक वकील ने एक जनहित याचिका दायर कर आरोप लगाया है कि (दक्षिण पूर्वी दिल्ली के) जिलाधिकारी (डीएम) के लाजपत नगर दफ्तर में कोविड-19 का पता लगाने के लिए की जाने वाली रैपिड एंटीजन जांच में इस्तेमाल स्वैब (रूई लगी तीली जिनका इस्तेमाल नाक और मुंह से नमूने लेने के लिए किया जाता है) का अनुचित तरीके से निपटान किया जा रहा है।
याचिकाकर्ता पंकज मेहता ने आरोप लगाया कि इस्तेमाल की गई स्वैब को सार्वजनिक स्थानों पर फेंका जा रहा है और डीएम दफ्तर में इस्तेमाल की गई स्वैब के ढेर पर जांचें की जा रही हैं।
मेहता ने अपनी याचिका में कहा है कि इस तरह से स्वैब का निपटान करने से बड़े पैमाने पर संक्रमण फैलने के खतरे की शिकायत करने पर काउंटर पर मौजूद डॉक्टर ने कहा कि ये सभी स्वैब उन लोगों की हैं जिन्हें संक्रमण की पुष्टि नहीं हुई है, इसलिए सुरक्षित हैं और "आप अपनी जांच कराइए।"
घोष ने याचिका में किए गए दावों और आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उन्हें सूचित किया गया है कि याचिका में जिन स्वैब का हवाला दिया गया है, उनका इस्तेमाल नहीं किया गया था या वे खराब थे।
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