नयी दिल्ली, दो दिसंबर उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में वायु प्रदूषण के मुद्दे का स्थायी समाधान खोजने पर जोर देते हुए सोमवार को कहा कि हर साल अक्टूबर से दिसंबर के बीच ऐसी ही स्थिति पैदा होती है।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि उसने प्रदूषण के मामले में समय-समय पर शीर्ष अदालत द्वारा पारित आदेशों पर गौर किया है और देखा है कि हर साल अक्टूबर से दिसंबर के बीच ऐसी ही स्थिति उत्पन्न होती है।
पीठ ने कहा, ‘‘हम प्रदूषण के कारणों के सभी पहलुओं पर विचार करने और स्थायी समाधान खोजने का प्रयास करने का प्रस्ताव करते हैं।’’ पीठ ने कहा कि पराली जलाने और प्रदूषण के विभिन्न अन्य कारणों के संबंध में स्थायी समाधान ढूंढ़ना होगा।
शीर्ष अदालत ने मामले में न्याय मित्र से इन मुद्दों पर दो सप्ताह के भीतर एक नोट तैयार करने को कहा, ताकि वह इस पर विचार कर सके। सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि वह चरणबद्ध प्रतिक्रिया कार्य योजना (जीआरएपी) के चौथे चरण के तहत कड़े प्रतिबंधों में ढील देने के बारे में पांच दिसंबर को पक्षों को सुनेगा।
जब एक अधिवक्ता ने अनुरोध किया कि उनकी याचिका को भी उसी दिन सूचीबद्ध किया जाए, तो पीठ ने कहा, ‘‘बोझ मत बढ़ाइए। अंत में इसे किसी दिन हमें इसे आयोग (वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग) पर छोड़ना होगा।’’
वकील ने कहा कि उनकी याचिका में ऐसे आंकड़े हैं, जो मददगार होंगे। पीठ ने कहा, ‘‘कृपया एक बात याद रखें, हम यहां सार्वजनिक सुनवाई नहीं करने जा रहे हैं। कृपया श्रमिकों की बदहाली को याद रखें। हमें इस तथ्य के प्रति सचेत रहना होगा कि लोगों की रोजी रोटी बंद हो गई है।’’
सोमवार की सुनवाई के दौरान पीठ को बताया गया कि निर्माण श्रमिकों को राशि का भुगतान नहीं किया जा रहा है, जिसके बाद उसने एनसीआर राज्यों के मुख्य सचिवों को निर्देश दिया कि वे पांच दिसंबर को उसके समक्ष वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये उपस्थित हों और बताएं कि क्या कोई निर्वाह भत्ता दिया गया है।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)