India-China Border Tension: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बृहस्पतिवार को संसद में कहा कि चीन के साथ पैंगोंग झील के उत्तरी एवं दक्षिणी किनारों पर सेनाओं के पीछे हटने का समझौता हो गया है और भारत ने इस बातचीत में कुछ भी खोया नहीं है. सिंह ने बताया कि पैंगोंग झील क्षेत्र में चीन के साथ सेनाओं के पीछे हटने का जो समझौता हुआ है उसके अनुसार दोनों पक्ष अग्रिम तैनाती चरणबद्ध, समन्वित और सत्यापित तरीके से हटाएंगे.सीमा पर नौ महीने तक गतिरोध जारी रहने के बाद यह सफलता मिली है.
लोकसभा और राज्यसभा में दिए बयान में रक्षा मंत्री ने हालांकि बताया कि अभी भी पूर्वी लद्दाख में वास्तवित नियंत्रण रेखा पर तैनाती तथा गश्ती के बारे में ‘‘कुछ लंबित मुद्दे’’ बचे हुए हैं, जिन्हें आगे की बातचीत में रखा जाएगा।उन्होंने कहा, ‘‘हम अपनी एक इंच जमीन भी किसी और को नहीं लेने देंगे। हमारे दृढ़ संकल्प का ही फल है कि हम समझौते की स्थिति पर पहुंच गए हैं।’’इस बीच, भारतीय थल सेना द्वारा साझा किये गये एक वीडियो में पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे से चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के तीन टैंकों को पीछे हटाते और भारतीय सैनिकों द्वारा एक टैंक को पीछे हटाते हुए देखा जा सकता है। इसके अलावा, दोनों पक्षों के सैनिकों के बीच बैठक की संक्षिप्त फुटेज भी है. यह भी पढ़े: India-China Border Tension: राज्यसभा में राजनाथ सिंह बोले-भारतीय सेना ने चीन को हर मोर्चे पर दिया करारा जवाब, पीछे हटेंगे चीनी सैनिक
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि टैंकों और अन्य बख्तरबंद सैन्य साजो सामान को टकराव वाले खास स्थानों से हटाने की प्रकिया पूरी होने के करीब है, जबकि झील के उत्तरी किनारे से सैनिकों को पीछे हटाने का कार्य किया जा रहा है।सिंह ने कहा, ‘‘मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि हमारे रुख और अनवरत वार्ताओं के फलस्वरूप चीन के साथ पैंगोंग झील के उत्तरी एवं दक्षिणी किनारों पर सेनाओं के पीछे हटने का समझौता हो गया है।’’उन्होंने कहा, ‘‘ इस बात पर भी सहमति हो गई है कि पैंगोंग झील से पूर्ण तरीके से सेनाओं के पीछे हटने के 48 घंटे के अंदर वरिष्ठ कमांडर स्तर की बातचीत हो तथा बाकी बचे हुए मुद्दों पर भी हल निकाला जाए.
’’
रक्षा मंत्री ने कहा कि पैंगोंग झील क्षेत्र में चीन के साथ सेनाओं के पीछे हटने का जो समझौता हुआ है, उसके अनुसार दोनों पक्ष अग्रिम तैनाती को चरणबद्ध तरीके से हटाएंगे ।उन्होंने कहा, ‘‘चीन अपनी सेना की टुकडि़यों को उत्तरी किनारे में फिंगर आठ के पूरब की दिशा की तरफ रखेगा. इसी तरह भारत भी अपनी सेना की टुकडि़यों को फिंगर तीन के पास अपने स्थायी ठिकाने धन सिंह थापा पोस्ट पर रखेगा।’’उन्होंने कहा कि इसी तरह की कार्रवाई दक्षिणी किनारे वाले क्षेत्र में भी दोनों पक्षों द्वारा की जाएगी,
उन्होंने कहा, ‘‘ये कदम आपसी समझौते के तहत बढ़ाए जाएंगे तथा जो भी निर्माण आदि दोनों पक्षों द्वारा अप्रैल 2020 से उत्तरी और दक्षिणी किनारों पर किया गया है, उन्हें हटा दिया जाएगा और पुरानी स्थिति बना दी जाएगी।’’इस बीच, रक्षा एवं सुरक्षा प्रतिष्ठानों के सूत्रों ने कहा कि सैनिकों को पूर्ण रूप से हटाये जाने की दिशा में यह पहला कदम है। टकराव वाले सभी स्थानों से सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया में हफ्तों लग सकते हैं।
गौरतलब है कि पिछले नौ महीने से पूर्वी लद्दाख में सीमा पर दोनों देशों के बीच गतिरोध बना हुआ है. इस गतिरोध को समाप्त करने के लिए सितम्बर, 2020 से लगातार सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर दोनों पक्षों में कई बार बातचीत हुई।रक्षा मंत्री ने कहा कि सेनाओं को पीछे हटाने के लिए आपसी समझौते के तहत तरीका निकाले जाने को लेकर वरिष्ठ कमांडर स्तर की नौ दौर की बातचीत भी हो चुकी है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा राजनयिक स्तर पर भी बैठकें होती रही हैं. उन्होंने बताया कि भारतीय सेनाओं ने चीनी सेना की सभी चुनौतियों का डट कर सामना किया है तथा अपने शौर्य एवं बहादुरी का परिचय दिया है.
उन्होंने कहा कि सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण कई क्षेत्रों को चिन्हित कर भारतीय सेना कई पहाड़ियों के ऊपर तथा हमारे दृष्टिकोण से उपयुक्त अन्य क्षेत्रों पर मौजूद हैं।उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय सेनाएं अत्यंत बहादुरी से लद्दाख की ऊंची दुर्गम पहाड़ियों तथा कई मीटर बर्फ के बीच में भी सीमाओं की रक्षा करते हुए अडिग हैं और इसी कारण हमारी बढ़त बनी हुई है।’’सिंह ने कहा कि देश की सेनाओं ने इस बार भी यह साबित करके दिखाया है कि भारत की संप्रभुता एवं अखंडता की रक्षा करने में वे सदैव तत्पर हैं और अनवरत कर रहे हैं।उन्होंने कहा, ‘‘ भारत अपनी एक इंच जमीन भी किसी को लेने नहीं देगा और इसी दृढ़ संकल्प का ही नतीजा है कि हम पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सीमा पर जारी गतिरोध के मद्देनजर समझौते की स्थिति पर पहुंचे हैं.
सिंह ने कहा कि भारत ने चीन को हमेशा यह कहा है कि द्विपक्षीय संबंध दोनों पक्षों के प्रयास से ही विकसित हो सकते हैं और सीमा के प्रश्न को भी बातचीत के जरिए हल किया जा सकता है.
उन्होंने कहा, ‘‘परंतु एलएसी पर शांति में किसी प्रकार की प्रतिकूल स्थिति का हमारे द्विपक्षीय संबंधों पर बुरा असर पड़ता है। इससे चीन भी अच्छी तरह से अवगत है । कई उच्च स्तरीय संयुक्त बयानों में भी यह जिक्र किया गया है कि एलएसी तथा सीमाओं पर शांति कायम रखना द्विपक्षीय संबंधों के लिए अत्यंत आवश्यक है ।’’रक्षा मंत्री ने कहा कि विभिन्न स्तरों पर चीन के साथ हुई वार्ता के दौरान भारत ने चीन को बताया कि वह तीन सिद्धांतों के आधार पर इस समस्या का समाधान चाहता है.
उन्होंने कहा, ‘‘पहला, दोनों पक्षों द्वारा वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को माना जाए और उसका सम्मान किया जाए। दूसरा, किसी भी पक्ष द्वारा यथास्थिति को बदलने का एकतरफा प्रयास नहीं किया जाए। तीसरा, सभी समझौतों का दोनों पक्षों द्वारा पूर्ण रूप से पालन किया जाए।’’
सिंह ने कहा कि भारतीय सेनाएं विषम एवं भारी बर्फबारी की परिस्थितियों में भी शौर्य एवं वीरता का प्रदर्शन कर रही हैं और इसके लिए प्रशंसा की जानी चाहिए.
इस गतिरोध के दौरान शहीद हुए जवानों की शहादत को याद करते हुए उन्होंने कहा कि इसे देश सदैव याद रखेगा उन्होंने कहा, ‘‘मैं आश्वस्त हूं कि यह पूरा सदन, चाहे कोई किसी भी दल का क्यों न हो, देश की संप्रभुता, एकता, अखंडता और सुरक्षा के प्रश्न पर एक साथ खड़ा है और एक स्वर से समर्थन करता है कि यह सन्देश केवल भारत की सीमा तक ही सीमित नहीं रहेगा बल्कि पूरे जगत को जायेगा।’’बीजिंग में, बुधवार को चीन के रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि पूर्वी लद्दाख में पैंगोग झील के उत्तरी और दक्षिणी छोर पर तैनात भारत और चीन के अग्रिम पंक्ति के सैनिकों ने बुधवार से व्यवस्थित तरीके से पीछे हटना शुरू कर दिया.
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)