चेन्नई, 22 अप्रैल: शतरंज से चेन्नई के खास लगाव का अहसास शहर का चक्कर लगाने भर से हो जाता है जहां नेपियर ब्रिज शतरंज के बोर्ड की तरह सजा हुआ है तो इमारतों पर भित्तिचित्र और जगह जगह लगे कोचिंग केंद्रों के विज्ञापन इसकी बानगी देते हैं. यह भी पढ़ें: Candidates Chess: डी गुकेश ने कैंडिडेट्स टूर्नामेंट जीता, विश्व खिताब के बने सबसे युवा चैलेंजर
चेन्नई में शतरंज की क्रांति लाने का श्रेय वेलाम्मल संस्थानों को जाता है. इसी नर्सरी से निकले ग्रैंडमास्टर डी गुकेश ने सोमवार को कैंडिडेट्स टूर्नामेंट जीतकर इतिहास रच दिया और विश्व खिताब के सबसे युवा चैलेंजर बन गए. इसी संस्थान से आर प्रज्ञानानंदा भी निकले हैं.
वेलाम्मल के शतरंज कोआर्डिनेटर एस वेलावन ने कहा ,‘‘ शतरंज शहर की संस्कृति का हिस्सा है और पाठ्यक्रम में इसे शामिल करने से काफी फर्क पड़ा है. उनके पास विश्वनाथन आनंद जैसा प्रेरणास्रोत भी है.’’
उन्होंने कहा ,‘‘ यहां आने वाले अधिकांश बच्चों की शतरंज में काफी दिलचस्पी है तो हमें उन्हें कुछ बोलना नहीं पड़ता. वे पढाई और शतरंज में तालमेल बिठा लेते हैं. शतरंज में अच्छा प्रदर्शन करने वाले बच्चे पढने में भी होशियार होते हैं.’’
उनका इशारा तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता द्वारा 2013 में स्कूलों में शुरू किया गया ‘ 7 टू 17 कार्यक्रम’ की ओर था. वेलाम्मल संस्थानों ने लगातार पांच साल विश्व स्कूल शतरंज चैम्पियनशिप जीती और प्रज्ञानानंदा 2021 में टीम का हिस्सा थे.
वर्ष 2005 के बाद से इस स्कूल से एस पी सेतुरमन, लियोन मेंडोंका, के प्रियदर्शन, बी अधिबान, विष्णु प्रसन्ना, विकास एनआर, विग्नेस एनआर , एम कार्तिकेयन, सी अराविंद, कार्तिक वेंकटरमन, वी प्रणव, एस भरत, अर्जुन कल्याण, पी कार्तिकेयन, एन श्रीनाथ जैसे ग्रैंडमास्टर निकले हैं. वहीं महिला वर्ग में वर्षिणी एस, आर वैशाली, आर रक्षिता , बी सविता श्री जैसे ग्रैंडमास्टर यहां से निकले हैं.
वेलावन ने कहा ,‘‘ हम यह सुनिश्चित करते हैं कि बच्चे नियमित टूर्नामेंट खेलते रहे ताकि लंबे समय तक खेल से दूर नहीं रहे. इससे उनका विकास बाधित होगा. उन्हें अंडर 11, अंडर 15, अंडर 17 स्तर पर भी खेलना होगा.’’
चेन्नई में इस समय 60 मान्य शतरंज अकादमियां है जिनमें प्रज्ञानानंदा के कोच ग्रैंडमास्टर आर बी रमेश का शतरंज गुरूकुल शामिल है. वेलावन ने कहा ,‘‘ शतरंज की मजबूत परंपरा को बनाये रखना आसान नहीं है. हमें खुशी है कि गुकेश और प्रज्ञानानंदा जैसे खिलाड़ियों ने नयी लहर की शुरूआत की है .’’
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