Madhya Pradesh: कूनो में चीतों को जांच के लिए बाड़ों में लाया जा सकता है, ड्रोन से निगरानी पर भी विचार- अधिकारी
चीता/प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: IANS)

नयी दिल्ली, 18 जुलाई: मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) में सभी रेडियो-कॉलर वाले चीतों को बारीकी से जांच के लिए उनके बाड़ों में वापस लाया जा सकता है और जंगल में उनकी गतिविधि की निगरानी के लिए संभवत: ड्रोन का इस्तेमाल किया जा सकता है. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. यह भी पढ़ें: MP Urine Scandal: राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के खिलाफ आरोपी की पत्नी पहुंची अदालत, राज्य सरकार व सीधी के कलेक्टर को नोटिस

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने रविवार को कहा था कि रेडियो कॉलर जैसे कारकों को चीतों की मौत के लिए जिम्मेदार ठहराने वाली खबरें ‘‘बिना वैज्ञानिक सबूत की हैं तथा अटकलों और अफवाहों’’ पर आधारित है. चीतों को देश में फिर से बसाने की परियोजना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले कुछ विशेषज्ञों ने स्वीकार किया कि रेडियो कॉलर का उपयोग करने की वजह से संक्रमण होने के कारण दक्षिण अफ्रीका के एक नर चीते की मृत्यु हो गई.

चीता परियोजना संचालन समिति की सोमवार को हुई बैठक में भाग लेने वाले एक अधिकारी ने कहा, ‘‘सभी रेडियो कॉलर वाले चीतों को करीब से नजर रखने के लिए उनके बाड़ों में वापस लाया जा सकता है.’’ अधिकारी ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका से एक अन्य विशेषज्ञ चीता के अवलोकन और उपचार पर आवश्यक जानकारी प्रदान करने के लिए मंगलवार को केएनपी पहुंचेंगे.

बैठक के दौरान पर्वतीय क्षेत्रों में या मानसून के मौसम सहित खराब मौसम में चीतों की निगरानी के लिए रेडियो कॉलर से संबद्ध ड्रोन के संभावित उपयोग पर भी चर्चा की गई. दक्षिण अफ़्रीकी विशेषज्ञों ने भारत सरकार से चीतों की मौत की जांच, योजनाबद्ध अतिरिक्त उपायों और संबंधित विकास के बारे में उन्हें सूचित करने का अनुरोध किया है.

चीता परियोजना में शामिल उनमें से एक ने समिति को बताया कि जानवरों को जंगल में छोड़े जाने के पहले वर्ष के भीतर मूल आबादी का 50 प्रतिशत का नुकसान स्वीकार्य मानकों के भीतर होता है.

विशेषज्ञों ने इस बात पर प्रकाश डाला कि दक्षिण अफ्रीका में रेडियो कॉलर से संबंधित कोई समस्या सामने नहीं आई है और ऐसी मौतों को रोकने के लिए नवीन प्रबंधन कार्रवाई आवश्यक होगी.

पर्यावरण मंत्रालय ने रविवार को कहा कि नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाए गए 20 वयस्क चीतों में से पांच की मौत प्राकृतिक कारणों से हुई और रेडियो कॉलर जैसे कारकों को मौत के लिए जिम्मेदार बताने वाली मीडिया रिपोर्टें ‘‘बिना वैज्ञानिक सबूत के, अटकलों और अफवाहों’’ पर आधारित हैं.

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