नयी दिल्ली, 30 जनवरी दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को केंद्र से कहा कि वह चिकित्सीय रूप से अक्षम लोगों को कार्यालय आने के लिए कहे बिना उनके पासपोर्ट अनुरोधों पर कार्रवाई करने की संभावना पर विचार करे।
दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी के उपाध्याय एवं न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने पूछा कि यदि किसी व्यक्ति की वसीयत घर पर ही पंजीकृत की जा सकती है, क्योंकि वह रजिस्ट्रार कार्यालय नहीं जा सकता, तो पासपोर्ट आवेदनों पर भी इसी तरह से कार्रवाई क्यों नहीं की जा सकती।
पीठ ने केंद्र के अधिवक्ता से कहा, "यह बहुत आसानी से किया जा सकता है। आप इस पहलू की जांच करें।"
अदालत चिकित्सीय रूप से अक्षम व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जो पासपोर्ट अनुरोध की प्रक्रिया के लिए पासपोर्ट कार्यालय नहीं जा सका था।
अधिवक्ता ने कहा कि उसके मुवक्किल का पासपोर्ट आवेदन खारिज कर दिया गया, और अधिकारियों ने उसे व्यक्तिगत रूप से कार्यालय में बुलाया है, जो उसके लिये संभव नहीं था।
अदालत ने इस मामले में गृह एवं विदेश मंत्रालय को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह के भीतर उनसे जवाब मांगा है।
मामले की सुनवाई अब 16 अप्रैल को होगी।
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