सीबीएसई के साइबर सुरक्षा दिशा निर्देशों में शामिल हैं साइबर माध्यम से धमकाने से लेकर डिजिटल अधिकार एवं जिम्मेदारियां
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नयी दिल्ली, 20 मई आनलाइन हमले, डिजिटल अधिकारों एवं स्वतंत्रता के हनन आदि से निपटने के लिये केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने 9वीं से 12वीं कक्षा के छात्रों के लिये साइबर सुरक्षा दिशा निर्देश तैयार किया है ताकि छात्रों में सुरक्षित एवं स्वस्थ आनलाइन आदतों का विकास किया जा सके ।

सीबीएसई द्वारा साइबर सुरक्षा दिशा निर्देश ऐसे समय में तैयार किया गया है जब छात्रों की डिजिटल दुनिया में पहुंच काफी बढ़ गई है और कोविड-19 के कारण लागू लॉकडाउन के दौरान कक्षा की पढ़ाई स्थगित होने के कारण आनलाइन कक्षाएं एवं पठन पाठन गतिविधियां आयोजित की गई है ।

साइबर सुरक्षा दिशा निर्देशों में साइबर धमकी, भावनात्मक उत्पीड़न, सामाजिक बहिष्कार, धमकाना, आनलाइन यौन उत्पीड़न, साइबर कट्टरपंथ, धोखाधड़ी जैसे सुरक्षा संबंधी विषय शामिल हैं । इसमें डिजिटल नागरिकता के नौ आयामों का जिक्र किया गया है जिसमें डिजिटल पहुंच, साक्षरता, संवाद, आचार, स्वास्थ्य, कुशलक्षेम, अधिकार, स्वतंत्रता एवं जवाबदेही तथा सुरक्षा एवं कानून शामिल है ।

इस दिशा निर्देश को साइबर पीस फाउंडेशन के सहयोग से तैयार किया गया है और इसमें छात्रों के लिये ज्ञान आधारित विभिन्न गतिविधियां भी सुझायी गई है ।

सीबीएसई के अनुसार, ‘‘ अनेकों युवा विविध प्रकार की प्रौद्योगिकियों का उपयोग करने को लेकर अश्वस्त होते हैं और सूचना प्राप्त करने के लिये अक्सर इंटरनेट का उपयोग करते हैं। लेकिन प्रौद्योगिकी को लेकर ऐसा विश्वास कई बार गुमराह करने वाला भी हो सकता है। ’’

बोर्ड ने कहा कि कई बार युवाओं को कठिनाइयां पेश आती हैं क्योंकि उनके सामने अपरिचित वेबसाइट से सूचना लेने का विषय होता है और तब यह समस्या आती है कि वे उस पर कैसे भरोसा करें । वे यह नही जानते कि खोज जैसे शब्द कैसे काम करते हैं या शक्तिशाली वाणिज्यिक बलों के परिणामस्वरूप किसी विशेष कंपनी को खोज इंजन की सूची में शीर्ष पर रखा जा सकता है ।

सीबीएसई ने कहा कि उन्हें कई बार यह भी समझ नहीं आता है कि कोई विषय खोजने के लिये किस प्रकार से सर्च इंजन सूची का उपयोग किया जाए । वे इससे जुड़े खतरों से भी अनभिज्ञ होते हैं और उनके कुछ कदम संकट को भी आमंत्रित कर सकते हैं ।

इसमें कहा गया है कि छात्रों को साइबर माध्यम से धमकी के बारे में समझ होनी चाहिए और इस तरह की गतिविधि में कभी शामिल नहीं होना चाहिए । छात्रों को बताया जाना चाहिए कि अगर वे किसी नेटवर्किंग साइट पर असहज हो तक उसे ब्लाक कर सकते हैं ।

दीपक

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