बंगला विवाद : उच्च न्यायालय ने नए आवेदन के संबंध में बीएमसी, नारायण राणे से मांगा जवाब
केंद्रीय मंत्री नारायण राणे (Photo Credits ANI)

मुंबई, 19 जुलाई : बंबई उच्च न्यायालय ने मंगलवार को बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) और केंद्रीय मंत्री नारायण राणे से जुड़ी एक रियल एस्टेट कंपनी से कहा कि वह अदालत को यह विश्वास दिलाएं कि उनके बंगले के अवैध हिस्से को नियमित करने के लिए दूसरा आवेदन ‘‘विचारयोग्य’’ है. न्यायमूर्ति आर डी धानुका की अध्यक्षता वाली पीठ ने कालका रियल एस्टेट और बीएमसी के वकीलों से मामले में सुनवाई की अगली तारीख 25 जुलाई को जवाब देने के लिए कहा है. उल्लेखनीय है कि 22 जून को न्यायमूर्ति धानुका के नेतृत्व वाली एक अन्य पीठ ने राणे द्वारा दायर एक अर्जी को खारिज कर दिया, जिसमें बीएमसी के जुहू निवास के आठ मंजिलों के हिस्से को नियमित करने से इनकार को चुनौती दी गई.

राणे ने दावा किया था कि शिवसेना के नियंत्रण वाली बीएमसी ने राजनीतिक बदले की भावना से इमारत के नियमितीकरण के आवेदन को खारिज कर दिया था. बीएमसी ने दलील दी थी कि मंत्री ने मंजूरी योजनाओं की धज्जियां उड़ाईं और बंगले के लिए फ्लोर स्पेस इंडेक्स (एफएसआई) का दुरुपयोग किया. उच्च न्यायालय ने राणे को यह कहते हुए राहत देने से इनकार कर दिया था कि जब ‘‘प्रथमदृष्टया’’ निर्माण अनधिकृत था, तो राजनीतिक प्रतिशोध का सवाल ही नहीं उठता. मंगलवार को, कालका रियल एस्टेट के वकील शार्दुल सिंह ने उच्च न्यायालय को बताया कि उन्होंने एक नया आवेदन दायर किया, हालांकि पिछले आवेदन को बीएमसी ने खारिज कर दिया था और अस्वीकृति को उच्च न्यायालय ने बरकरार रखा था. यह भी पढ़ें : Monkeypox Case: अगस्त तक वैश्विक स्तर पर मंकीपॉक्स के मामले बढ़कर एक लाख हो सकते हैं : अमेरिकी विशेषज्ञ

सिंह ने दलील दी कि राणे अब मांग कर रहे हैं कि उनके बंगले के एक छोटे हिस्से को नियमित किया जाए और उनकी अर्जी इस तरह की राहत के लिए राज्य की 2024 की विकास योजना के प्रावधानों का सहारा ले रही है. सिंह ने पीठ से कहा, ‘‘बीएमसी ने कहा है कि वह उच्च न्यायालय के आदेश के बिना दूसरे आवेदन पर विचार नहीं कर सकती.’’ उन्होंने उच्च न्यायालय से बीएमसी को कानून के अनुसार नए आवेदन पर विचार करने का निर्देश देने का अनुरोध किया. बीएमसी के वरिष्ठ वकील अनिल साखरे ने पीठ को बताया कि नगर निगम ने अभी आवेदन पर विचार नहीं किया और वह इस पर गौर करेगा. इस पर, उच्च न्यायालय ने पूछा कि एक बार खारिज किए गए आवेदन को नगर निगम द्वारा कैसे मंजूरी दी जा सकती है. पीठ ने कहा, ‘‘हमें दिखाएं कि यह दूसरा आवेदन विचार योग्य है.’’