मुंबई,26 अगस्त बंबई उच्च न्यायालय ने एक महिला पर अपने पुरुष मित्र के खिलाफ दुष्कर्म की झूठी शिकायत दर्ज कराने पर 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाते हुए मामले का निपटारा कर दिया। महिला ने अदालत में याचिका दाखिल करके कहा था कि वह इस मामले को आगे नहीं ले जाना चाहती।
न्यायमूर्ति आर डी धानुका एवं न्यायमूर्ति वी जी बिष्ट की खंडपीठ ने मंगलवार को महिला को महाराष्ट्र पुलिस कल्याण कोष में चार सप्ताह के भीतर 25 हजार रुपए जमा कराने के निर्देश दिए।
पीठ ने कहा कि अगर जुर्माना नहीं भरा गया तो पुरुष के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को खारिज करने का उसका आदेश वापस हो जाएगा।
महिला ने 16 मार्च को अपने पुरुष मित्र के खिलाफ पालघर जिले के नालासोपारा पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी कि उसने नशीला पदार्थ खिला कर उससे दुष्कर्म किया है।
इसके बाद पिछले माह शिकायतकर्ता ने मामले को खारिज करने के लिए उच्च न्यायालय का रुख किया और कहा कि उसने परिवार के दबाव में आ कर प्राथमिकी दर्ज कराई थी।
महिला ने अपनी याचिका में कहा कि उसके पुरुष के साथ संबंध हैं लेकिन जब उसके परिवार को इसका पता चला तो उसने कहानी गढ़ दी कि पुरुष ने उससे दुष्कर्म किया है।
याचिका का विरोध करते हुए अतिरिक्त सरकारी वकील अरुणा कामत पाई ने कहा कि पुलिस मामले की जांच कर रही है और इस पर आरोपपत्र दाखिल करेगीं
उन्होंने कहा कि अगर अदालत प्राथमिकी रद्द करना चाहती है तो महिला पर भारी जुर्माना लगाया जाना चाहिए।
अदालत ने इस दलील को स्वीकार करते हुए कहा,‘‘हमारे विचार से याचिकाकर्ता का मामला सिर्फ इस पर स्वीकार नहीं किया जा सकता कि उसने परिवार के सदस्यों के दबाव में आ कर शिकायत दर्ज कराई थी।’’
अदालत ने कहा,‘‘ अब चूंकि याचिकाकर्ता शिकायत को आगे नहीं ले जाना चाहती है,तो हम प्राथमिकी को रद्द करते हैं लेकिन इस शर्त पर कि याचिकाकर्ता महाराष्ट्र पुलिस कल्याण कोष में चार सप्ताह के भीतर 25,000रुपए जमा कराए।’’
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