देश की खबरें | ऊर्जा क्षेत्र में बड़े बदलाव से उत्सर्जन को 2030 तक आधा किया जा सकता है: आईपीसीसी

नयी दिल्ली, चार अप्रैल वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लिए उठाए जाने वाले कदमों को रेखांकित करते हुए सोमवार को जारी आईपीसीसी की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि ऊर्जा क्षेत्र में बड़े बदलावों के साथ वैश्विक उत्सर्जन को 2030 तक आधा किया जा सकता है, जिसमें जीवाश्म ईंधन के उपयोग में भारी कमी भी शामिल है।

जलवायु परिवर्तन पर अंतरसरकारी पैनल (आईपीसीसी) की रिपोर्ट में कहा गया कि 2010-2019 में औसत वार्षिक वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन मानव इतिहास में अपने उच्चतम स्तर पर था।

आईपीसीसी के अध्यक्ष होसुंग ली ने कहा, ‘‘हम चौराहे पर हैं। अब हम जो निर्णय लेते हैं, वे एक जीवंत भविष्य को सुरक्षित कर सकते हैं। हमारे पास तापमान को सीमित करने के लिए आवश्यक उपकरण और जानकारी है।’’

ली ने कहा, ‘‘मैं कई देशों में की जा रही जलवायु कार्रवाई से प्रोत्साहित हूं। ऐसी नीतियां, विनियम और उठाए गए विभिन्न कदम हैं जो प्रभावी साबित हो रहे हैं। यदि इन्हें बढ़ाया जाता है और अधिक व्यापक और समान रूप से लागू किया जाता है तो वे उत्सर्जन में कमी का समर्थन कर सकते हैं और नवाचार को प्रोत्साहित कर सकते हैं।’’

रिपोर्ट के समन्वयक लेखकों में से एक, जॉयश्री रॉय ने कहा कि रिपोर्ट से एक महत्वपूर्ण निष्कर्ष यह है कि अगले कुछ वर्ष महत्वपूर्ण होंगे जब देश उत्सर्जन रोकने वाले कदमों का फैसला करेंगे। रॉय ने कहा, ‘‘जब तक प्रभावी कार्रवाई नहीं की जाती है, 1.5 डिग्री की सीमा तक नहीं पहुंचा जा सकता है। हमें बिना देरी के कार्रवाई तेज करने की जरूरत है।’’

रिपोर्ट के एक अन्य सह-लेखक नवरोज के दुबाश ने कहा कि कम समय में जितना संभव हो उतना करने पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘इस दशक में जो किया जा सकता है वह बहुत महत्वपूर्ण है। हमें अगले 10 साल पहले देखना होगा, न कि केवल 2050 के लक्ष्य पर।’’

रिपोर्ट को आईपीसीसी की 195 सदस्य सरकारों ने 21 मार्च से डिजिटल तरीके से शुरू हुए मंजूरी सत्र के जरिए स्वीकृति दी। यह आईपीसीसी की छठी मूल्यांकन रिपोर्ट (एआर-6) की तीसरी किस्त है, जो इस साल पूरी हो जाएगी।

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