नयी दिल्ली, 29 जनवरी : ‘कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ (Bharat Jodo Yatra) से भले ही पार्टी की उम्मीदों को पंख लगा हो और राहुल गांधी की छवि से जुड़ी धारणा में बदलाव आया हो, लेकिन अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर अब भी देश के सबसे पुराने दल की राह मुश्किल भरी नजर आती है.’ विश्लेषकों और विशेषज्ञों का ऐसा कहना है. उनका कहना है कि उसके सामने एक बड़ी चुनौती यह है कि वह उत्तर प्रदेश, बिहार और कई अन्य प्रमुख राज्यों में संगठन को मजबूत करे और साथ ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विरोधी किसी भी विपक्षी गठबंधन की अगुवाई करने की अपनी वाजिब दावेदारी पेश करे.
कांग्रेस ने ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के समापन समारोह के लिए लगभग सभी प्रमुख विपक्षी दलों को न्यौता दिया और इससे कहीं न कहीं विपक्षी खेमे में उसकी स्थिति मजबूत हुई है, लेकिन वह अब भी उस टीम का ‘कप्तान’ बनने से दूर नजर आती है जो 2024 में भाजपा का मुकाबला कर सकती है. विपक्ष के नेतृत्व करने की कांग्रेस की मंशा को तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी जैसे कुछ राजनीतिक दलों से कड़ी चुनौती मिल सकती है. यह भी पढ़ें : राजस्थान केन्द्रीय विश्वविद्यालय के 10 छात्र 14 दिनों के लिये निलंबित किये गये
विशेषज्ञों का कहना है कि ‘भारत जोड़ो यात्रा’ से राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस की स्थिति को मजबूत बनाने में मदद मिली है, लेकिन इसका सही अंदाजा इस साल होने वाले कई राज्यों के विधानसभा चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन के आधार पर होगा. कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता संजय झा के अनुसार, भाजपा का मुकाबला करने के लिए खुद को तैयार करने का असली काम कांग्रेस के लिए अब शुरू हुआ है तथा अब कांग्रेस के पक्ष में हवा बन रही है. उन्होंने ‘पीटीआई-’ से कहा, ‘‘कार्यकर्ताओं में उत्साह आ गया है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे आक्रामक भाषण दे रहे हैं जो भाजपा पर चोट करते नजर आ रहे हैं.’’