इंदौर, 5 जुलाई : आध्यात्मिक गुरु भय्यू महाराज (Bhaiyyu Maharaj) को ब्लैकमेल कर उन्हें आत्महत्या के लिए उकसाने के दो सजायाफ्ता मुजरिमों के कारावास पर रोक लगाने से मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने इनकार कर दिया है. बचाव पक्ष के एक वकील ने मंगलवार को यह जानकारी दी. उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमार वर्मा ने पलक पौराणिक (28) और शरद देशमुख (37) की अर्जियां खारिज करते हुए कहा कि भय्यू महाराज आत्महत्या कांड के तथ्य, हालात और अपराध की गंभीरता को देखते हुए इन मुजरिमों की कारावास की सजा पर रोक लगाने का कोई आधार नहीं बनता है.
अदालत ने दोनों मुजरिमों की जमानत अर्जियों पर सभी संबद्ध पक्षों की विस्तृत दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला 29 जुलाई को सुरक्षित रख लिया था. बचाव पक्ष के वकीलों में शामिल धर्मेंद्र गुर्जर ने मंगलवार को कहा कि मुजरिमों की सजा पर रोक से इनकार के उच्च न्यायालय के फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी जाएगी. गौरतलब है कि जिला अदालत ने भय्यू महाराज आत्महत्या कांड में पौराणिक और देशमुख के साथ ही रसूखदार आध्यात्मिक गुरु के एक अन्य सेवादार विनायक दुधाड़े (45) को 28 जनवरी को छह-छह साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी. यह भी पढ़ें : रायपुर पुलिस का उप्र पुलिस पर आरोप : एंकर की गिरफ्तारी की प्रक्रिया बाधित की
अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि पुलिस की जांच और अभियोजन के गवाहों के बयानों से साबित हुआ है कि पौराणिक, दुधाड़े और देशमुख ने आपस में षड़यंत्र किया था और वे भय्यू महाराज पर पौराणिक से विवाह का बार-बार दबाव बनाकर उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहे थे तथा उन्हें धमका कर उनसे धन की मांग भी कर रहे थे. पुलिस अधिकारियों के मुताबिक पौराणिक, भय्यू महाराज पर आपत्तिजनक चैट और अन्य निजी वस्तुओं के बूते शादी के लिए दबाव बना रही थी, जबकि 50 वर्षीय आध्यात्मिक गुरु अपनी पहली पत्नी माधवी की दिल के दौरे के कारण मौत के बाद डॉ. आयुषी शर्मा के साथ दूसरा विवाह कर चुके थे. अधिकारियों ने बताया कि भय्यू महाराज ने इंदौर के बायपास रोड स्थित अपने बंगले में 12 जून 2018 को उनके लाइसेंसी रिवॉल्वर से गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी.