नयी दिल्ली, 26 फरवरी अनुसंधानकर्ताओं की टीम ने अपने अध्ययन में पाया है कि आयुर्वेदिक दवा बीजीआर-34 तीन महीनों के भीतर शरीर में शर्करा की मात्रा को कम करने में मददगार साबित हो सकती है और शक्तिशाली एंटी ऑक्सीडेंट का स्राव शरीर में करती है जिससे मधुमेह संबंधी जटिलताएं नियंत्रित होती है।
पंजाब स्थित चितकारा विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं द्वारा किए गए इस अध्ययन को सर्बियाई जर्नल ऑफ एक्सपेरिमेंटल ऐंड क्लीनिकल रिसर्च ऑन साइडो सैंटिफिक प्लेटफार्म के नवीनतम संस्करण में प्रकाशित किया गया है।
अध्ययन के मुताबिक आयुर्वेदिक दवा बीजीआर-34 मधुमेह के इलाज में प्रभावी है और इसका बहुत कम या बिल्कुल नहीं दुष्प्रभाव है।
रवीन्द्र सिंह के नेतृत्व में एक टीम ने मधुमेह से ग्रस्त सौ रोगियों को दो समूहों में बांट कर करीब 12 हफ्ते तक चौथे चरण के चिकित्सकीय परीक्षण किए।
उन्होंने बताया कि अध्ययन के दौरान बिना बताए एक समूह को सीटाग्लिप्टिन तथा दूसरे समूह को बीजीआर-34 दी गई। इसके बाद कुछ दिन तक निगरानी के बाद जब परिणाम सामने आया तो पता चला कि मधुमेह उपचार में बीजीआर-34 दवा काफी असरदार है।
अध्ययन के मुताबिक पहले नतीजे में ग्लाइकेटेड हेमोग्लोबिन (एचबीए1सी) के आधार स्तर में गिरावट आने की जानकारी मिली जोकि चिकित्सीय तौर पर सकारात्मक है। वहीं ‘रैंडम शुगर टेस्ट’’ में भी बीजीआर-34 असरदार पायी गयी।
अध्ययन के अनुसार परीक्षण शुरू करते समय रोगियों में एचबीए1सी की ‘बेसलाइन वैल्यू’ 8.499 फीसदी थी, लेकिन बीजीआर-34 लेने वाले मरीजों में चार सप्ताह के बाद यह वेल्यूकम होकर 8.061, फिर आठ सप्ताह बाद 6.56 और 12 सप्ताह बाद 6.27 फीसदी तक आ गई। यह वही जांच है जिसमें तीन माह के दौरान शर्करा के स्तर का पता चलता है।
इसी प्रकार ‘रैंडम शुगर टेस्ट’ में भी आयुर्वेदिक दवा का असर देखने को मिला। दवा लेने से पूर्व मरीजों के शीर में शर्करा का औसत स्तर 250 एमजी/डीएल था। चार सप्ताह के बाद यह 243, आठ सप्ताह के बाद 217 तथा 12 सप्ताह के बाद 114 एमजी/डीएल दर्ज किया गया।
गौरतलब कि बीजीआर-34 को वैज्ञानिक एवं औद्यौगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की लखनऊ स्थित दो प्रयोगशालाओं सीमैप एवं एनबीआरआई ने विकसित किया है तथा एमिल फार्मास्युटिकल ने इसे बाजार में उतारा है।
एमिल फार्मास्युटिकल के कार्यकारी निदेशक डा. संचित शर्मा ने बताया कि शोध से स्पष्ट होता है कि बीजीआर-34 न सिर्फ मधुमेह रोगियों में शर्करा को कम करती है बल्कि बीटा कोशिकाओं की कार्यप्रणाली में भी सुधार करती है जिनसे इंसुलिन उत्पन्न होता है। यह एंटीआक्सीडेंट गुणों से भी भरपूर है।
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