जोधपुर, आठ जनवरी स्वयंभू संत आसाराम ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय से मिली अंतरिम जमानत का लाभ उठाने के लिए जोधपुर उच्च न्यायालय में एक नयी याचिका दायर की है।
उच्चतम न्यायालय ने 2013 के बलात्कार मामले में जेल में बंद आसाराम को मंगलवार को चिकित्सकीय आधार पर 31 मार्च तक अंतरिम जमानत दे दी।
न्यायमूर्ति एम. एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की पीठ ने आसाराम को रिहाई के बाद अपने अनुयायियों से समूह में नहीं मिलने का निर्देश दिया है। आसाराम को अगस्त 2013 में गिरफ्तार किए जाने के बाद से यह पहली बार है जब उसे किसी भी अदालत से कोई बड़ी राहत मिली है।
शीर्ष अदालत ने गांधीनगर से जुड़े बलात्कार के एक मामले में आसाराम को यह राहत दी थी। इस मामले में सत्र अदालत ने जनवरी 2023 में उसे दोषी ठहराया था और आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
यह राहत आसाराम के जोधपुर केंद्रीय कारागार से बाहर आने के लिए पर्याप्त नहीं होगी, जहां वह अपने गुरुकुल की एक किशोरी से बलात्कार के एक अन्य मामले में पहले से ही आजीवन कारावास की सजा काट रहा है।
जोधपुर में आसाराम का प्रतिनिधित्व कर रहे वकीलों में से एक निशांत बोरा ने कहा कि उच्चतम न्यायालय से राहत एक अन्य मामले में मिली है और जब तक आसाराम को जोधपुर उच्च न्यायालय से इसी तरह की राहत नहीं मिल जाती, तब तक यह राहत पर्याप्त नहीं होगी।
बोरा ने कहा, ‘‘इसलिए, हमने सजा के निलंबन के इसी तरह के अनुरोध के साथ उच्चतम न्यायालय के आदेश के आलोक में उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इस याचिका में हमेशा की तरह बुढ़ापे और शारीरिक बीमारियों को आधार बनाया गया है। इसके अलावा वह लंबे समय से जेल में है।’’
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