नयी दिल्ली, चार दिसंबर उच्चतम न्यायालय ने 2020 में पश्चिम बंगाल प्रदेश भाजपा के नेता कबीर शंकर बोस के सुरक्षाकर्मियों एवं तृणमूल कांग्रेस के बीच हुई हाथापाई को लेकर बोस के विरूद्ध दर्ज की गयी दो प्राथमिकियों को बुधवार को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दिया।
न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना एवं न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने बोस की एक याचिका पर यह फैसला दिया। बोस ने शीर्ष अदालत से इस मामले की जांच पश्चिम बंगाल पुलिस से लेकर सीबीआई या विशेष जांच दल (एसआईटी) या किसी स्वतंत्र एजेंसी को सौंपने का निर्देश देने का अनुरोध किया था।
पीठ ने कहा, ‘‘इस मामले के विशिष्ट तथ्यों को देखते हुए प्रतिवादियों को आदेश दिया जाता है कि वे दोनों प्राथिमिकियों के जांच संबंधी दस्तावेज तथा जांच पूरी करने के लिए सभी रिकॉर्ड सीबीआई को सौंप दें, ताकि यदि आवश्यक हो तो मुकदमा शुरू किया जा सके और संबंधित पक्षों को न्याय मिल सके।’’
बोस ने कथित हाथापाई के संबंध में पश्चिम बंगाल पुलिस द्वारा उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी में जांच और आगे की कार्यवाही पर रोक लगाने की भी अपील की थी।
अपनी याचिका में बोस ने दावा किया था कि छह दिसंबर, 2020 को पश्चिम बंगाल के सेरामपुर में रात करीब आठ बजे उनके आवास के बाहर उन पर और उनके सीआईएसएफ गार्ड पर हमला हुआ तथा नारेबाजी की गई थी।
उनकी याचिका में कहा गया है, ‘‘ प्रोटोकॉल के तहत सीआईएसएफ (कर्मियों) ने याचिकाकर्ता को तुरंत सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। इसके बाद जो हुआ वह सीआईएसएफ की ओर से अपने सुरक्षाकर्मी की जान बचाने के लिए प्रोटोकॉल था और याचिकाकर्ता मौके पर मौजूद भी नहीं था।’’
याचिका में यह भी कहा गया है, ‘‘रात दो बजे तक पूरी इमारत को तृणमूल के 200 से अधिक गुंडों ने घेर रखा था, जिनका नेतृत्व इलाके के तत्कालीन सांसद कल्याण बनर्जी कर रहे थे और उन्हें राज्य पुलिस का भी पूरा समर्थन हासिल था।’’
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