जरुरी जानकारी | विदेशी बाजारों में गिरावट के बीच सोयाबीन तेल-तिलहन, सीपीओ, पामोलीन के भाव घटे

नयी दिल्ली, 27 मार्च विदेशी बाजारों में कमजोरी के रुख के बीच बुधवार को देश के तेल-तिलहन बाजारों में सोयाबीन तेल-तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल कीमतों में गिरावट दर्ज हुई। ऊंचे दाम पर लिवाली कमजोर रहने के बीच सरसों और मूंगफली तेल-तिलहन के दाम पूर्वस्तर पर बंद हुए।

बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि शिकॉगो एक्सचेंज रात को कमजोर बंद होने के बाद अब भी मंदा चल रहा है। जबकि मलेशिया एक्सचेंज लगभग 2.5 प्रतिशत कमजोर था। यहां शाम का और कल पूरे दिन का कारोबार बंद रहेगा।

सूत्रों ने कहा कि मंडियों में सरसों की आवक साढ़े सात लाख बोरी से घटकर लगभग सात लाख बोरी रह गई। बड़े किसान कम मात्रा में ही अपनी उपज बाजार में ला रहे हैं क्योंकि मंडियों में सरसों न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से 10-12 प्रतिशत नीचे बिक रहा है। दूसरा किसानों को सरसों की एमएसपी पर सरकारी खरीद होने की उम्मीद है इसलिए बड़े किसान मंडियों में अपनी कम उपज ला रहे हैं। केवल छोटे एवं जरूरतमंद किसान ही अपनी उपज बेच रहे हैं क्योंकि उन्हें पैसे की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि सरसों की कम आवक के बीच कच्ची घानी का तेल निकालने वाली बड़ी तेल मिलों ने सरसों खरीद का दाम 25 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाया है। मौजूदा भाव में सरसों पेराई मिलों को उनका सरसों तेल बेपड़ता बैठता है जिससे उन्हें नुकसान है।

सूत्रों ने कहा कि ऊंचे भाव पर मूंगफली तेल के लिवाल कम हैं। कारोबार नहीं के बराबर है। तेल पेराई मिलों को इसमें बुरा हाल हो रहा है।

उन्होंने कहा कि यही हाल सोयाबीन का भी है। एमएसपी से नीचे दाम पर भी सोयाबीन खप नहीं रहा है। जो हाल इस बार सोयाबीन का हुआ है उसे देखते हुए लगता है कि अगली बार सोयाबीन की खेती घटेगी और किसान इसकी जगह संभवत: मोटे अनाज की ओर जा सकते हैं।

सूत्रों ने कहा कि एमएसपी पर सरकार खरीद कर भी ले तो उससे काम पूरा नहीं होगा। जब तक देशी सोयाबीन, बिनौला, सरसों, मूंगफली तेल का बाजार नहीं बनेगा तब तक न तो तेल-तिलहन उत्पादन बढ़ेगा न हम आत्मनिर्भर होने के रास्ते पर जा सकेंगे।

उन्होंने कहा कि सीपीओ, पामोलीन का आयात कर बेचने में नुकसान है। ऐसा इसलिए है कि अधिक पसंद वाले सूरजमुखी तेल का दाम 960 डॉलर प्रति टन बैठता है जबकि सीपीओ का आयात करने में दाम 1,035 डॉलर प्रति टन बैठता है। जब तक सीपीओ का दाम सूरजमुखी तेल से पर्याप्त कम नहीं होगा, तब तक पाम, पामोलीन का आयात नहीं बढ़ेगा और तबतक खाद्य तेलों की आपूर्ति श्रृंखला दुरुस्त नहीं होगी। खाद्य तेलों के आयात में सीपीओ, पामोलीन का हिस्सा लगभग 65 प्रतिशत का है जिसकी कमजोर आयवर्ग में अधिक खपत होती है। महंगा होने के कारण आयात कम होने से इसकी कमी को सॉफ्ट आयल से पूरा करना मुमकिन नहीं है। इसकी वजह से आपूर्ति लादन प्रभावित हो रही है।

सूत्रों ने कहा कि बिनौला के नकली खल ने एक और मुसीबत खड़ी कर दी है। बिनौले का नकली खल 24-25 रुपये किलो बिक रहा है जबकि असली खल की लागत लगभग 32 रुपये किलो बैठती है। ऐसे में कौन पेराई मिल बिनौले से फायदा कमाने की सोच सकता है जहां बिनौले से ही सबसे अधिक खल निकलता है और खल निकलने के बाद बिके नहीं तो मिल वालों का परेशान होना गलत नहीं है।

उन्होंने कहा कि बिनौला खल को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) से छूट मिली हुई है। यह छूट इसलिए नहीं दी गई कि नकली खल का कारोबार फले फूले।

तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन - 5,300-5,340 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली - 6,080-6,355 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 14,800 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल 2,225-2,500 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 10,200 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 1,725-1,825 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 1,725 -1,840 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 10,400 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 10,150 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8,800 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 9,075 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 9,250 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,280 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 9,280 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना - 4,545-4,565 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 4,345-4,385 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का)- 4,075 रुपये प्रति क्विंटल।

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)