कोहिमा, 19 अप्रैल नगालैंड की एकमात्र लोकसभा सीट पर शुक्रवार को करीब 56 प्रतिशत मतदान हुआ। मुख्य निर्वाचन अधिकारी व्यासन आर ने यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि पूर्वी नगालैंड के चार लाख से अधिक मतदाताओं ने वोट डालने से परहेज किया जिसकी वजह से पिछले चुनावों की तुलना में ‘‘इस बार राज्य में मतदान का प्रतिशत सबसे कम है’’।
नगालैंड में 2014 में देश में सबसे अधिक 87.82 प्रतिशत और 2019 में 83 प्रतिशत मतदान हुआ था।
सीईओ ने संवाददाताओं से कहा, मतदान सुबह सात बजे शुरू हुआ और पूरे दिन यह ‘समान’ रहा।
उन्होंने कहा कि मतदान प्रतिशत का आंकड़ा अनुमानित है क्योंकि दूरदराज के इलाकों में मतदान केंद्रों से डेटा एकत्र करने में समय लगता है और अंतिम मतदान प्रतिशत की घोषणा शनिवार को सभी दस्तावेजों की जांच के बाद ही की जाएगी।
उन्होंने कहा कि नगालैंड के 13.25 लाख मतदाताओं में से 56 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया।
‘ईस्टर्न नगालैंड पीपुल्स ऑर्गेनाइजेशन’ (ईएनपीओ) ने अलग राज्य की मांग को लेकर क्षेत्र के छह जिलों में लोगों से मतदान से दूर रहने का आह्वान किया था।
अधिकारियों ने बताया कि इन छह जिलों के लोग ईएनपीओ के साथ एकजुटता दिखाने के लिए घरों में ही रहे। इन जिलों में 738 मतदान केंद्र हैं और चार लाख से अधिक मतदाता हैं।
नगालैंड के छह पूर्वी जिलों में मतदान कर्मी मतदान केंद्रों पर नौ घंटे तक इंतजार करते रहे, लेकिन ‘फ्रंटियर नगालैंड टेरिटरी’ की मांग पर जोर देने के लिए संगठन द्वारा बंद के आह्वान के मद्देनजर क्षेत्र के चार लाख मतदाताओं में से कोई भी मतदान करने नहीं आया।
सीईओ के ‘कारण बताओ नोटिस’ का जवाब देते हुए ईएनपीओ ने कहा कि ‘‘बंद करना सभी आदिवासी निकायों का एक स्वैच्छिक निर्णय था और उसे जबरन लागू नहीं किया गया। संगठन ने किसी भी व्यक्ति के अधिकारों में कटौती नहीं की बल्कि वे सभी समान उद्देश्य के लिए एकजुट हुए।’’
सीईओ ने कहा कि कोहिमा, मोकोकचुंग और फेक जिलों के कुछ मतदान केंद्रों पर विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा मतदान केंद्र पर कब्जा करने की शिकायतें मिली, लेकिन क्षेत्रीय मजिस्ट्रेट द्वारा सत्यापित किए जाने के बाद आरोपों को खारिज कर दिया गया।
यह पूछे जाने पर कि क्या पुनर्मतदान की आवश्यकता होगी, नगालैंड संसदीय चुनाव के निर्वाचन अधिकारी सुशील कुमार पटेल ने कहा कि फिलहाल पुनर्मतदान की कोई मांग नहीं है, लेकिन अंतिम फैसला शनिवार को चुनाव लड़ रहे दलों की उपस्थिति में मतदान कर्मियों के दस्तावेजों की जांच के बाद ही लिया जाएगा।
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