पुणे: महाराष्ट्र (Maharashtra) में रविवार को चिंचवड़ (Chinchwad) और कस्बा विधानसभा सीट (Town Assembly Seat) पर उपचुनावों (By-Election) में शाम पांच बजे तक क्रमश: 41.1 प्रतिशत और 45.25 प्रतिशत मतदान हुआ. मतगणना 2 मार्च को होगी. राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, इन उपचुनावों के नतीजे बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) और अन्य नगर निकायों सहित राज्य में आगामी चुनावों के लिए माहौल बनाएंगे.
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की विधायक मुक्ता तिलक और लक्ष्मण जगताप की मृत्यु के कारण कस्बा और चिंचवड़ सीट पर उपचुनाव कराने की जरूरत पड़ी. पुणे शहर की कस्बा विधानसभा सीट पर भाजपा के हेमंत रासने और कांग्रेस के रवींद्र धंगेकर के बीच मुकाबला है. Nagaland-Meghalaya Election: नागालैंड और मेघालय में सोमवार को मतदान, दोनों राज्यों की एक-एक सीट पर नहीं होगी वोटिंग
धंगेकर को कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के महा विकास आघाड़ी गठबंधन का समर्थन प्राप्त है. पुणे शहर के नजदीक स्थित औद्योगिक शहर चिंचवड़ में मुकाबला भाजपा के अश्विनी जगताप और राकांपा के नाना काते के बीच है.
दोनों सीट पर प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवारों ने जीत का भरोसा जताया है. रविवार को सुबह सात बजे मतदान शुरू होने के साथ ही चिंचवड़ में जिला चुनाव अधिकारियों ने रंगोली बनाकर और गुलाब का फूल देकर शुरुआती मतदाताओं का स्वागत किया. कस्बा विधानसभा क्षेत्र में भी मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए कतार में खड़े नजर आए.
अधिकारियों ने कहा कि मतदान के मद्देनजर दोनों निर्वाचन क्षेत्रों में सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं. चिंचवड़ निर्वाचन क्षेत्र के निर्वाचन अधिकारी सचिन ढोले ने कहा, "सभी मतदान केंद्रों पर आवश्यक व्यवस्था की गई है और मैं सभी मतदाताओं से अपील करता हूं कि वे बिना किसी भय के अपने मताधिकार का इस्तेमाल करें.’’
पिंपरी चिंचवड़ के पुलिस उपायुक्त काकासाहेब डोले ने कहा कि चिंचवड़ में एक मतदान केंद्र के बाहर शिवसेना (यूबीटी) के बागी उम्मीदवार राहुल कलाटे और भाजपा के समर्थकों के बीच "मामूली झड़प" हुई और स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए पुलिस ने हस्तक्षेप किया.
पिछले साल जून में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली एमवीए सरकार गिरने के बाद शिवसेना के एकनाथ शिंदे नीत खेमे और भाजपा के सत्ता में आने के साथ, चिंचवड़ और कस्बा सीट पर उपचुनाव दोनों पक्षों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है.
राजनीतिक विश्लेषक अभय देशपांडे ने ‘पीटीआई-’ से कहा, ‘‘इन दो उपचुनावों का जो भी परिणाम होगा, वह वर्तमान सरकार की स्थिरता को प्रभावित नहीं करने वाला है, लेकिन उपचुनाव सत्तारूढ़ एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और भाजपा के साथ-साथ एमवीए के लिए राजनीतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है.’’
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