देश की खबरें | बंगाल में बाढ़ से 23 लोगों की मौत, ममता ने डीवीसी को जिम्मेदार बताया

कोलकाता, चार अगस्त पश्चिम बंगाल में बाढ़ की स्थिति बुधवार को और विकराल हो गई, जिसमें आठ और लोगों की मौत होने के बाद मृतकों की संख्या 23 हो गई है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शिकायत की कि दामोदर घाटी निगम (डीएमवी) ने अपने बांधों से अभूतपूर्व तरीके से पानी छोड़ा है जो ''मानव निर्मित'' जलप्रलय का कारण बना।

हालांकि, डीवीसी ने कहा कि वह राज्य सरकार की सहमति लेने के बाद पानी छोड़ता है और उसे बाढ़ के लिए जिम्मेदार ठहराना उचित नहीं है।

प्रधानमंत्री ने राज्य के सात जिलों को प्रभावित करने वाली बाढ़ की स्थिति का जायजा लेने के लिए आज दोपहर बनर्जी को फोन किया। बातचीत के दौरान, मुख्यमंत्री ने राज्य में बाढ़ के लिए डीवीसी को जिम्मेदार ठहराया और शाम को मोदी को लिखे एक पत्र में इस मुद्दे को उठाया।

पिछले कुछ दिनों में भारी बारिश और बाद में पानी छोड़े जाने से पूरब और पश्चिम बर्धमान, पश्चिम मेदिनीपुर, हुगली, हावड़ा, दक्षिण 24 परगना और बीरभूम जिलों के कई हिस्से जलमग्न हो गए हैं। मंगलवार शाम तक मरने वालों की संख्या 15 और प्रभावित जिलों की संख्या छह थी।

प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक ट्वीट में कहा कि मोदी ने बनर्जी को हालात से निपटने के लिए केन्द्र की ओर से हरसंभव मदद मुहैया कराने का आश्वासन दिया।

इसने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांधों से पानी छोड़े जाने के बाद राज्य के कुछ हिस्सों में बाढ़ की स्थिति को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से बात की। प्रधानमंत्री ने इस स्थिति से निपटने के लिए उन्हें हरसंभव केंद्रीय मदद का आश्वासन दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने प्रभावित इलाकों में लोगों की सुरक्षा की कामना की।’’

बीरभूम जिले के नानूर और लाभपुर ब्लॉक के कई इलाकों में बुधवार सुबह बाढ़ आ गई, जिससे 3000 से अधिक लोग विस्थापित हो गए।

बनर्जी ने स्थिति का जायजा लेने के लिए बुधवार को हावड़ा के कुछ हिस्सों का सर्वेक्षण किया।

मुख्यमंत्री ने मोदी को पत्र लिखकर दावा किया कि डीवीसी ने गाद निकालने और निकर्षण का काम नहीं किया, और उसके बांधों की जल धारण क्षमता में वृद्धि नहीं की गई। हालांकि इस मुद्दे को 2015 में भी उठाया गया था।

उन्होंने आरोप लगाया कि पंचेट, मैथन और तेनुघाट में डीवीसी बांधों से 'अभूतपूर्व' पानी छोड़े जाने के कारण राज्य के कुछ जिले 'गंभीर मानव निर्मित बाढ़ की स्थिति' का सामना कर रहे हैं।

बनर्जी ने पत्र में कहा, “हम जल्द ही आपको बाढ़ की वर्तमान स्थिति से हुए नुकसान की समीक्षा भेजेंगे। मैं इस बात को दोहराना चाहती हूं कि डीवीसी को व्यवस्था की भंडारण क्षमता को बढ़ाने के लिए दीर्घकालीन समाधान विकसित करने की जरूरत है जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि डीवीसी बांधों से भारी मात्रा में छोड़े गए पानी के कारण पश्चिम बंगाल को मानव निर्मित बाढ़ की आपदा से न जूझना पड़े।”

डीवीसी ने 31 जुलाई से बुधवार दोपहर तक 6.38 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा है। इसमें बुधवार को दो चरणों में छोड़ा गया 95,000 क्यूसेक पानी शामिल है।

वहीं, डीवीसी ने कहा कि वह राज्य सरकार की अनुमति लेने के बाद पानी छोड़ता है और बाढ़ की स्थिति के लिए उसपर आरोप लगाना सही नहीं है।

डीवीसी की ओर से कहा गया कि वह जल नियमन पर निर्णय नहीं लेता और इसके बारे में ‘दामोदर वैली रिजरवॉयर रेगुलेशन कमेटी’ (डीवीआरआरसी) निर्णय लेती है तथा राज्य के सिंचाई सचिव इसके सदस्य हैं।

डीवीसी के कार्यकारी निदेशक (मैथोन) एस बनर्जी ने 'पीटीआई-' से कहा, “डीवीसी जल नियमन पर केवल समिति के निर्णय का पालन करती है। पानी छोड़े जाने से पहले राज्य सरकार की अनुमति ली जाती है और डीवीसी जिला प्रशासन को चेतावनी जारी करती है। इसलिए बाढ़ के लिए डीवीसी को दोष देना सही नहीं है।”

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