प्रयागराज, आठ जुलाई इलाहाबाद उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने नोएडा विकास प्राधिकरण के पूर्व मुख्य अभियंता यादव सिंह की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर निर्णय बुधवार को सुरक्षित रख लिया। यादव सिंह ने सीबीआई की कथित अवैध हिरासत से रिहाई की मांग की है।
न्यायमूर्ति प्रितिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव की पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद इस याचिका पर निर्णय सुरक्षित रख लिया।
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सीबीआई ने सिंह के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के आधार पर 10 फरवरी, 2020 को उन्हें गिरफ्तार किया था। आरोप है कि सिंह ने सात लोगों के पक्ष में बाजार दर से अधिक पर ठेके जारी किए थे जिससे सरकारी खजाने को भारी वित्तीय नुकसान हुआ था।
इस अदालत में दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि सीबीआई ने समय सीमा के भीतर आरोप पत्र दाखिल नहीं किया, इसलिए याचिकाकर्ता (यादव सिंह) को या तो जमानत दी जाए या फिर सीबीआई हिरासत से रिहा किया जाए।
सीबीआई के वकील ने अदालत को बताया कि कोविड-19 की वजह से अदालतें बंद थीं और गाजियाबाद में अदालत केवल आठ जून, 2020 को खुली और सीबीआई ने आरोप पत्र दाखिल कर दिया है।
सीबीआई के वकील ने कहा कि आरोप पत्र दाखिल करने में जानबूझकर देरी नहीं की गई। हालांकि याचिकाकर्ता ने कहा कि चूंकि आरोपपत्र समय सीमा के भीतर दाखिल नहीं किया गया, इसलिए उसे जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए।
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