PM Modi's Speech in Britain: लंदन में अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद कर रहे ट्रांसलेटर को पीएम मोदी ने क्यों टोंका? देखें VIDEO
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने हाजिरजवाबी और तीखे संदेशों के लिए जाने जाते हैं. हाल ही में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर के साथ हुई संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में कुछ ऐसा हुआ, जिसने सबका ध्यान खींचा.
PM Modi's Speech in Britain: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने हाजिरजवाबी और तीखे संदेशों के लिए जाने जाते हैं. हाल ही में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर के साथ हुई संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में कुछ ऐसा हुआ, जिसने सबका ध्यान खींचा. एक तरफ जहां माहौल औपचारिक था, वहीं बीच में एक हल्का फुल्का पल आया जिसने माहौल को थोड़ा सहज बना दिया. दरअसल, ट्रांसलेटर द्वारा अंग्रेजी से हिन्दी में अनुवाद के दौरान एक छोटी सी गलती हो गई. उन्होंने हिन्दी के बीच में एक अंग्रेजी शब्द बोल दिया और फिर तुरंत रुककर माफी मांग ली.
इस पर प्रधानमंत्री मोदी मुस्कुराए और बोले, "कोई बात नहीं. बीच-बीच में अंग्रेजी शब्द चलेगा. चिंता मत कीजिए." उनकी ये बात सुनकर पूरे हॉल में ठहाके गूंज उठे.
क्या मोदी की भाषा बदलने की रणनीति का मतलब बड़ा होता है
पीएम मोदी ने दिया कड़ा संदेश
मगर इसी अनौपचारिक पल के कुछ ही मिनट बाद पीएम मोदी ने मंच से आतंकवाद पर एक बेहद सख्त और साफ संदेश भी दिया. उन्होंने अपने भाषण के बीच में हिन्दी छोड़कर सीधे अंग्रेज़ी में कहा, "Those who misuse democratic freedoms to undermine democracy itself, must be held to account."
ये बात उन्होंने सीधे-सीधे उन ताकतों के लिए कही थी जो पश्चिमी देशों, खासकर ब्रिटेन, में बैठे रहकर भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल हैं. इसमें खालिस्तानी ग्रुप्स का भी साफ जिक्र था, जो हाल के दिनों में ब्रिटेन में फिर से सक्रिय हो रहे हैं.
पहले भी अंग्रेजी में दिया था कड़ा संदेश
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब पीएम मोदी ने किसी गंभीर मुद्दे पर अंग्रेज़ी का सहारा लिया हो. इससे पहले पहलगाम आतंकी हमले के बाद बिहार के मधुबनी में एक रैली में उन्होंने कहा था, "India will identify, track and punish every terrorist and their backers."
उस हमले में 26 लोगों की जान गई थी. इसके बाद भारत ने पाकिस्तान और पीओके में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाकर जवाब भी दिया.
भाषा बदलने के पीछे की सोच
पीएम मोदी का यह अंदाज़ दिखाता है कि वो अपनी बात दुनिया भर में पहुंचाने के लिए भाषा का चुनाव रणनीति के हिसाब से करते हैं. जब संदेश दुनिया को देना हो, तो वो अंग्रेज़ी में बोलते हैं, ताकि कोई बात छूट न जाए. और जब देश के लोगों से जुड़ना हो, तो उनकी मातृभाषा में बोलते हैं.