
यूक्रेन के राष्ट्रपति ने रविवार को कहा है कि संघर्षविराम का एलान करने के बावजूद रूसी सेना मोर्चे पर लगातार फायरिंग और हमले कर रही है. दोनों देशों ने एक दूसरे पर संघर्षविराम के उल्लंघन का आरोप लगाया है.30 घंटे का संगर्षविराम शनिवार शाम को शुरू हुआ. तीन साल से चले आ रहे यूक्रेन युद्ध में पहली बार किसी संघर्षविराम की घोषणा की गई थी. हालांकि रविवार को जेलेंस्की ने रूस पर आरोप लगाया कि वह मोर्चे पर संघर्षविराम में भी हमले जारी रखे हुए है. यूक्रेनी सेना प्रमुख की सुबह 6 बजे की एक रिपोर्ट का हवाला दे कर सोशल मीडिया पर जेलेंस्की ने कहा है, "मोर्चे पर कई दिशाओं में रूसी सेना की गोलीबारी की कम से कम 59 घटनाएं और पांच हमले हुए हैं."
उन्होंने यह भी कहा कि शनिवार की मध्य रात्रि तक के छह घंटे में, "रूसी सेना की ओर से गोलीबारी की 387 घटनाएं और 19 हमले हुए,साथ ही ड्रोन से 290 बार." हालांकि रूसी वायु सेना ने सोमवार सुबह किसी ड्रोन या मिसाइल हमले की बात नहीं कही.
जेलेंस्की की पोस्ट में कहा गया है, "कुल मिला कर ईस्टर की सुबह हम कह सकते है कि रूसी सेना संघर्षविराम की छवि बनाना चाहती है, जबकि कुछ इलाकों में आगे बढ़ने और यूक्रेन को नुकसान पहुंचाने की कोशिशें हो रही हैं."
रूसी अधिकारियों का यूक्रेन पर आरोप
यूक्रेन के पूरब में रूसी नियंत्रण वाले इलाकों में अधिकारियों ने इसके जवाब में यूक्रेनी सेनाओं पर संघर्षविराम का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है. उनका कहना है संघर्षविराम का उल्लंघन कर कब्जे वाले गांव और कस्बों पर गोलीबारी हो रही है. रूसी कब्जे वाले दोनेत्स्क में सरकारी समाचार एजेंसी आरआईए नोवोस्ती के एक रिपोर्टर ने खबर दी कि रविवार सुबह उसने धमाकों की आवाज सुनी और आग देखा.
रूसी रक्षा मंत्रालय का कहना है कि यूक्रेन ने संघर्षविराम का 1,000 से अधिक बार उल्लंघन किया है. मंत्रालय के मुताबिक यूक्रेन के हमलों में बुनियादी ढांचे के साथ ही कुछ आम लोगों की मौत भी हुई है. मंत्रालय ने कहा है कि यूक्रेनी सेनाओं ने रूसी ठिकानों पर 444 बार गोलीबारी की और उसने 900 से ज्यादा ड्रोन हमलों की गिनती की है. इनमें क्रीमिया और रूसी सीमा पर ब्रायंस्क, कुर्स्क और बेल्गोरोद इलाके में हमले हुए हैं. रक्षा मंत्रालय का कहना है, "इसके नतीजे में आम लोगों की मौत हुई है और कई लोग घायल हैं, इसके साथ ही नागरिक सुविधाओं को नुकसान पहुंचा है."
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ईस्टर वीकेंड में हमले रोकने का पुतिन का आदेश अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के यूक्रेन और रूस को संघर्ष विराम पर मनाने की महीनों की कोशिशों के बाद आया है. इस मामले में देरी से ट्रंप की नाराजगी भी सामने आई थी. शुक्रवार को तो अमेरिका ने इस दिशा में प्रगति नहीं होने पर बातचीत से बाहर निकलने की चेतावनी भी दी.
पुतिन ने घोषणा की थी कि शनिवार शाम 6 बजे से रविवार मध्यरात्रि तक हमले नहीं होंगे. रूसी सेना प्रमुख वैलेरी गेरासिमोव के साथ एक मुलाकात के दौरान टीवी पर प्रसारित संदेश में उन्होंने संघर्ष विराम का एलान किया था. इसके जवाब में जेलेंस्की ने कहा कि यूक्रेन भी इसी रास्ते पर चलेगा और साथ ही इस संघर्ष विराम को रविवार से आगे बढ़ाने का भी प्रस्ताव दिया.
30 दिन के संघर्षविराम का प्रस्ताव
रविवार को जेलेंस्की ने अपनी पोस्ट में यह भी कहा, "रूस को संघर्षविराम के सभी शर्तों का जरूर पालन करना चाहिए. संघर्विराम को लागू करने और मध्यरात्रि के बाद 30 दिनों तक आगे बढ़ाने का प्रस्ताव अब भी मेज पर है."
इससे पहले उन्होंने कहा था, "30 दिन शांति को एक मौका दे सकते हैं," इस दौरान उन्होंने इस ओर भी इशारा किया था कि पुतिन पहल ही 30 दिन के पूरे और बिना शर्त संघर्षविराम के प्रस्ताव को खारिज कर चुके हैं. पुतिन ने कहा था कि ईस्टर की छुट्टियों पर संघर्ष विराम की प्रेरणा "मानवीय कारण" हैं. उन्होंने यूक्रेन से इसका पालन करने की उम्मीद करते हुए कहा था कि रूसी सेनाएं संघर्षविराम के संभावित उल्लंघन और दुश्मन के उकसावों को रोकने के लिए जरूर तैयार रहें.
पुतिन ने यह भी कहा था कि संघर्षविराम के ताजा प्रस्ताव यह दिखाएंगे, "शांति वार्ता की प्रक्रियाओं में शामिल होने, समझौतों के पालन में सक्षम और उसकी इच्छा रखने के साथ कीव की सरकार अपनी तैयारी में कितनी गंभीर है."
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रूस ने अपने पड़ोसी देश यूक्रेन पर फरवरी, 2022 में हमला किया था. इससे पहले अप्रैल 2022 में ईस्टर और जनवरी 2023 में ऑर्थोडॉक्स क्रिसमस के मौके पर संघर्षविराम की कोशिशें नाकाम हो गई क्योंकि दोनों देश उस पर सहमत नहीं हो सके.
ईस्टर पर अपने संबोधन में जेलेंस्की ने कहा कि इस धार्मिक छुट्टी के दिन का मतलब था, "दुष्ट पीछे हटेंगे और जीवन जीतेगा. आज ये शब्द हर यूक्रेनी दिल में गूंजते हैं. वे हमारे विश्वास को मजबूत करते हैं जो सबकुछ होने के बावजूद, पूरे दमखम से चले आ रहे 1,152 दिनों के युद्ध के बाद भी कमजोर नहीं पड़े हैं."
क्या कहते हैं आम लोग
राजधानी कीव में रविवार को आम लोगों ने इस बात पर संदेह जताया कि रूस संघर्ष विराम आगे बढ़ाने के प्रस्ताव का स्वागत करते हुए इसका पालन करेगा. 38 साल की कारोबारी ओल्गा ग्राचोवा ने कहा, "उन्होने पहले ही वादा तोड़ दिया है. दुर्भाग्य से हम रूस पर अब भरोसा नहीं कर सकते." इसी तरह 30 साल के रेलवे कर्मचारी सर्गी क्लोचको ने कहा, "हमारे राष्ट्रपति ने साफ तौर पर कहा है कि अगर वे 30 घंटे का संघर्ष विराम घोषित करेंगे तो हम 30 दिन के संघर्षविराम का एलान करेंगे. तो फिर उन्हें ऐसा करने दीजिए...ताकि यह भयानक जंग खत्म हो, ताकि हमारे लोग, हमारे सैनिक और हमारे बच्चों का मरना बंद हो."
हालांकि, 41 साल की नतालिया ने जेलेंस्की के 30 दिनों के प्रस्ताव पर कहा, "हम जो भी प्रस्ताव देते हैं वह आखिरकार केवल हमारा प्रस्ताव बन कर रह जाता है. कोई उस पर जवाब नहीं देता." उधर मॉस्को की सड़कों पर 58 साल के इवगेनी पावलोव को नहीं लगता कि रूस को यूक्रेन को कोई मौका देना चाहिए. उन्होंने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, "उन्हें कोई राहत देने की जरूरत नहीं है. अगर हम दबाव डालेंगे तो हमें अंत तक दबाव रखना चाहिए."