Bangladesh Crisis: अमेरिकी बिजनेसमैन और पूर्व रिपब्लिकन राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार विवेक रामास्वामी ने बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ लक्षित हिंसा की निंदा की. उन्होंने 'एक्स' पर लिखा कि बांग्लादेश में हिंदुओं को निशाना बनाकर हिंसा करना गलत और चिंताजनक है. बांग्लादेश ने 1971 में अपनी स्वतंत्रता के लिए एक खूनी युद्ध लड़ा. सैकड़ों हजारों बांग्लादेशी महिलाओं का बलात्कार किया गया और उनकी हत्या कर दी गई. यह एक त्रासदी थी, जिसका शोक भी मनाया जाता है. इसके बाद, बांग्लादेश ने अपनी सिविल सेवा में नौकरियों के लिए कोटा प्रणाली लागू की.
इनमें 80 फीसदी नौकरियां विशिष्ट सामाजिक समूहों को आवंटित की गईं, जिनमें स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, बलात्कार पीड़ित और कम प्रतिनिधित्व वाले निवासी शामिल किए गए. इसके अलावा 20 फीसदी सीट योग्यता के आधार पर आवंटित की गईं.
बांग्लादेश में हिंदुओं की टारगेट किलिंग चिंताजनक: रामास्वामी
The targeted violence against Hindus in Bangladesh is wrong, it's concerning, and it's a cautionary tale for victimhood-laced quota systems. Here's what happened: Bangladesh fought a bloody war for its independence in 1971. Hundreds of thousands of Bangladeshi civilians were…
— Vivek Ramaswamy (@VivekGRamaswamy) August 14, 2024
अब यही कोटा प्रणाली एक आपदा साबित हो रही है. 2018 में विरोध प्रदर्शनों के कारण बांग्लादेश ने अधिकांश कोटा को खत्म कर दिया, लेकिन पीड़ित-संरक्षकों ने इसका विरोध किया. इसके कारण इस साल कोटा प्रणाली को फिर से लागू किया गया. इससे और अधिक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए, जिससे शेख हसीना की सरकार गिर गई. इस घटना के बाद प्रधानमंत्री को दूसरे देश में शरण लेना पड़ा. एक बार अराजकता शुरू हो जाने के बाद, इसे आसानी से नियंत्रित नहीं किया जा सकता है. कट्टरपंथी अब हिंदू अल्पसंख्यकों को निशाना बना रहे हैं. 1971 में बलात्कार और हिंसा की गलतियों को सुधारने के लिए बनाया गया कोटा संघर्ष अब 2024 में अधिक बलात्कार और हिंसा की ओर ले जा रहा है. रक्तपात ही पीड़ित होने का अंतिम बिंदु है. बांग्लादेश को देखकर यह सोचना मुश्किल है कि हमें अपने देश में ही क्या सबक सीखना चाहिए.