अफगानिस्तान: तालिबानियों ने पूर्व उपराष्ट्रपति अमरूल्लाह सालेह के भाई को तड़पा-तड़पाकर मार डाला, हत्या से पहले आतंकियों ने किया था बुरी तरह टॉर्चर
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit-PTI)

अफगानिस्तान में तालिबानी सरकार (Afghanistan, Taliban) बनने के बाद अब तालिबानी आतंकियों ने पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह के बड़े भाई रोहुल्लाह सालेह (Afghanistan Former Vice President Amrullah Saleh) को तड़पा-तड़पाकर बेरहमी से मार डाला है. पंजशीर से काबुल जा रहे पूर्व उपराष्ट्रपति के भाई रोहुल्लाह सालेह को तालिबानी आतंकियों ने रास्ते में किडनैप कर उन्हें काफी टॉर्चर किया. जब इससे भी नहीं भरा तो उन्हें तड़पा-तड़पाकर बेरहमी से मार डाला.

इस बात का दावा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि तालिबान के एक लड़ाके की उस जगह से तस्वीर सामने आई है, जहां से सालेह ने एक वीडियो शेयर किया था. वहीं ऐसी भी खबरें हैं कि तालिबान के आतंकियों ने पंजशीर में सालेह के घर पर कब्जा भी कर लिया है. हालांकि अब तक तालिबान की ओर से पूर्व उपराष्ट्रपति के भाई की हत्या को लेकर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की गई है. वहीं पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह की ओर से भी कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है.

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमरुल्ला सालेह पहले ही अफगानिस्तान छोड़ चुके हैं. सालेह अफगानिस्तान छोड़ ताजिकिस्तान जा चुके हैं लेकिन हाल ही में सालेह ने पंजशीर से एक वीडियो कर कहा था कि वह पंजशीर में ही हैं और कहीं नहीं जा रहे.

बता दें कि पंजशीर वही क्षेत्र है जहां तालिबान और नॉर्दन अलायंस के बीच संघर्ष जारी है. अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद और अमरुल्लाह सालेह तालिबान के खिलाफ जारी जंग का नेतृत्व कर रहे हैं. अमरुल्लाह सालेह दुनिया से गुजारिश कर रहे हैं कि वो तालिबानी सरकार को मान्यता नहीं दें.

पंजशीर में अक्टूबर 1972 को जन्मे अमरुल्लाह सालेह ताजिक मूल के हैं. अमरुल्लाह ने कम उम्र में ही अहमद शाह मसूद के तालिबान विरोधी आंदोलन को जॉइन कर लिया था. अमरुल्लाह सालेह निजी तौर पर तालिबान का दंश झेल चुके हैं. तालिबानी आतंकियों ने वर्ष 1996 में उनकी बहन का अपहरण कर हत्या कर दी थी.

राजनीति में आने से पहले सालेह जासूसी विभाग में काम कर चुके हैं. वह अफगानिस्तान खुफिया एजेंसी के प्रमुख भी रहे हैं. पिछले कुछ महीनों में तालिबान ने सालेह के ऊपर कई जानलेवा हमले किए हैं. सालेह मौजूदा वक्त में पंजशीर घाटी में हैं जो अब तक तालिबान के कब्जे से बाहर है.