
आजकल ईरान और इज़राइल के बीच तनाव का माहौल है. इस तनाव के बीच एक डर पूरी दुनिया को सता रहा है - कहीं ईरान गुस्से में आकर होर्मुज की खाड़ी (Strait of Hormuz) का रास्ता न बंद कर दे. अगर ऐसा हुआ, तो इसका असर सीधे आपकी और हमारी जेब पर पड़ सकता है.
आइए समझते हैं कि ये होर्मुज की खाड़ी आखिर है क्या और ये इतनी ज़रूरी क्यों है.
दुनिया की सबसे ज़रूरी तेल की 'नली'
होर्मुज की खाड़ी, ईरान और ओमान के बीच एक संकरा समुद्री रास्ता है. इसे आप दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण तेल की 'नली' या 'पाइपलाइन' समझ सकते हैं. 2024 के आंकड़ों के मुताबिक, दुनिया भर में खपत होने वाले कुल तेल का लगभग 20% हिस्सा, यानी हर दिन करीब 2 करोड़ बैरल कच्चा तेल इसी रास्ते से होकर गुज़रता है.
यह तेल सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), इराक, ईरान, कुवैत और बहरीन जैसे देशों से आता है. इसका ज़्यादातर हिस्सा (करीब 84%) एशिया के देशों, जैसे चीन, भारत, जापान और दक्षिण कोरिया को जाता है. चीन अपनी ज़रूरत का लगभग आधा तेल इसी रास्ते से मंगाता है.
यह रास्ता इतना अहम इसलिए भी है क्योंकि इसका कोई दूसरा बढ़िया विकल्प नहीं है. ज़मीन के रास्ते जो पाइपलाइनें हैं, उनकी क्षमता इतनी नहीं है कि वे इतने बड़े पैमाने पर तेल की सप्लाई कर सकें.
ईरान इसे कैसे बंद कर सकता है?
ईरान के पास इस समुद्री रास्ते को कुछ समय के लिए रोकने की ताकत है.
- ईरान की नौसेना: इसका मुख्य नौसैनिक अड्डा, बंदर अब्बास, ठीक इसी रास्ते पर है.
- छोटे लड़ाकू जहाज़: ईरान के पास बहुत सारी तेज़ रफ़्तार वाली छोटी लड़ाकू नावें हैं जो बड़े तेल टैंकरों पर हमला कर सकती हैं.
- मिसाइलें और माइन्स: ईरान अपने किनारों से मिसाइलें दाग सकता है या फिर समंदर में हज़ारों बारूदी सुरंगें (Naval Mines) बिछा सकता है, जिससे जहाज़ों का निकलना नामुमकिन हो जाए.
अगर रास्ता बंद हुआ तो क्या होगा?
अगर ईरान ने होर्मुज की खाड़ी को बंद कर दिया, तो इसका असर तुरंत दिखेगा.
- तेल की कीमतें: कच्चे तेल की कीमतें आसमान छूने लगेंगी. जानकारों का अनुमान है कि तेल $120-$130 प्रति बैरल तक महंगा हो सकता है.
- महंगाई का झटका: तेल महंगा होने का मतलब है पेट्रोल-डीज़ल महंगा होना. इससे माल ढुलाई से लेकर आपके रोज़मर्रा के सामान तक, सब कुछ महंगा हो जाएगा. पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था में महंगाई का एक बड़ा झटका लगेगा.
- सबसे ज़्यादा असर एशिया पर: क्योंकि सबसे ज़्यादा तेल यहीं आता है, इसलिए भारत, चीन और जापान जैसे देशों को सबसे ज़्यादा मुश्किल होगी. हालांकि, अमेरिका पर सप्लाई का सीधा असर कम होगा क्योंकि वह खाड़ी देशों से अब बहुत कम तेल खरीदता है, लेकिन बढ़ी हुई कीमतों की मार उसे भी झेलनी पड़ेगी.
लेकिन, ईरान शायद ऐसा न करे. क्यों?
इतनी ताकत होने के बावजूद, ईरान के लिए यह कदम उठाना अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा होगा. इसके कई कारण हैं:
- खुद का नुकसान: रास्ता बंद करने से ईरान का खुद का तेल एक्सपोर्ट भी ठप हो जाएगा, जो उसकी कमाई का मुख्य ज़रिया है.
- चीन की नाराज़गी: चीन ईरान का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार और तेल का ग्राहक है. रास्ता बंद करने से चीन को भारी नुकसान होगा और ईरान ऐसा बिल्कुल नहीं चाहेगा.
- पड़ोसी देशों से दुश्मनी: इस रास्ते का इस्तेमाल करने वाले सऊदी अरब और UAE जैसे अरब पड़ोसी भी ईरान के खिलाफ हो जाएंगे.
- अमेरिका का दखल: सबसे बड़ा कारण है अमेरिका. विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर ईरान ने ऐसा कोई कदम उठाया, तो अमेरिकी नौसेना फौरन हरकत में आ जाएगी और बल प्रयोग करके इस रास्ते को कुछ ही घंटों या दिनों में दोबारा खुलवा देगी. ऐसा पहले 1980 के दशक में ईरान-इराक युद्ध के दौरान हो भी चुका है.
संक्षेप में, ईरान के पास दुनिया को डराने के लिए होर्मुज की खाड़ी का पत्ता ज़रूर है, लेकिन इसे खेलना उसके लिए बहुत महंगा सौदा साबित हो सकता है. इसीलिए, तेल की कीमतों में उछाल का खतरा तो है, लेकिन ज़्यादातर जानकारों का मानना है कि यह उछाल थोड़े समय के लिए ही होगा.