श्रीलंका में बदलाव की आंधी! मार्क्सवादी राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके की पार्टी को संसदीय चुनाव में मिला प्रचंड बहुमत

श्रीलंका में राजनीतिक इतिहास में एक नया अध्याय तब जुड़ा जब अनुरा कुमारा दिसानायके की नेशनल पीपल्स पावर पार्टी (एनपीपी) ने संसद में बहुमत हासिल कर लिया. अनुरा कुमारा दिसानायके मार्क्सवादी विचारधारा के समर्थक माने जाते हैं. शुक्रवार, 15 नवंबर को घोषित आधिकारिक चुनाव परिणामों के अनुसार, एनपीपी ने 225 में से 123 सीटें जीत ली हैं. इस चुनावी जीत ने उन्हें देश में आर्थिक पुनरुत्थान के अपने कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए एक मजबूत जनादेश प्रदान किया है.

संसदीय चुनाव में विपक्ष की हार

इस चुनाव में विपक्षी दल समगी जना बाला वेगया (संयुक्त जनशक्ति पार्टी), जिसका नेतृत्व सजीत प्रेमदासा कर रहे थे, ने केवल 31 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा. यह परिणाम दर्शाता है कि श्रीलंका की जनता ने पारंपरिक राजनीतिक पार्टियों के बजाय एक नई दिशा की ओर रुझान दिखाया है. अनुरा कुमारा दिसानायके ने राष्ट्रपति का पद 21 सितंबर को ग्रहण किया था, जिसने एक ऐसा बदलाव लाया जिससे परंपरागत पार्टियों के दबदबे को चुनौती मिली.

कम समय में पार्टी को बढ़ा समर्थन

हालांकि अनुरा कुमारा दिसानायके को केवल 42 प्रतिशत वोट मिले थे, लेकिन राष्ट्रपति बनने के दो महीनों के भीतर ही उनकी पार्टी को जनता का भारी समर्थन मिलना यह दर्शाता है कि श्रीलंकाई समाज में बदलाव की लहर चल रही है. जाफना जिले में उनकी पार्टी की जीत एक बड़े बदलाव का संकेत है. जाफना, जो कि उत्तरी श्रीलंका में तमिल समुदाय का प्रमुख क्षेत्र है, यहां पर एनपीपी की जीत तमिल पार्टियों के लिए एक बड़ा झटका साबित हुई है, जिन्होंने स्वतंत्रता के बाद से ही इस क्षेत्र में अपनी पकड़ बनाए रखी थी.

तमिल समुदाय में बदलता दृष्टिकोण

इस जीत से यह संकेत मिलता है कि श्रीलंकाई तमिल समुदाय अब पारंपरिक सोच से आगे बढ़ते हुए नए नेताओं के प्रति भरोसा दिखा रहा है. तमिल समुदाय, जो लंबे समय से सिंहली बहुल नेतृत्व से सावधान रहता आया है, ने अब अपने समर्थन में एक बड़ा बदलाव किया है. श्रीलंका का गृहयुद्ध (1983-2009) में कई तमिल विद्रोही गुटों ने एक अलग देश की मांग करते हुए संघर्ष किया था, जिसमें 100,000 से अधिक लोग मारे गए थे.

संसदीय सीटों का वितरण

श्रीलंका की संसद में कुल 225 सीटें हैं, जिनमें से 196 सीटें प्रांतीय प्रतिनिधित्व प्रणाली के तहत चुनाव के माध्यम से भरी जाती हैं. शेष 29 सीटें ‘राष्ट्रीय सूची’ सीटों के रूप में होती हैं, जो राष्ट्रीय स्तर पर मिले वोटों के अनुपात के आधार पर पार्टियों और स्वतंत्र समूहों को आवंटित की जाती हैं.

इस ऐतिहासिक जीत से अनुरा कुमारा दिसानायके के लिए नए रास्ते खुले हैं, जो श्रीलंका के आर्थिक सुधार और विकास में तेजी ला सकते हैं. उनका यह जनादेश न केवल उनके आर्थिक सुधार के एजेंडे को बढ़ावा देता है बल्कि पारंपरिक राजनीति से हटकर एक नई सोच को जगह देने की ओर भी इशारा करता है.