इस्लामाबाद: पाकिस्तान सरकार ने गिलगित बाल्टिस्तान क्षेत्र की कानूनी स्थिति की समीक्षा के लिये गुरुवार को एक समिति का गठन किया. भारत इस क्षेत्र को जम्मू कश्मीर का हिस्सा मानता है. गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र को पाकिस्तान अपने पांचवें प्रांत के रूप में घोषित करने की योजना बना रहा है. भारत इसका जोरदार विरोध कर रहा है. इसे उत्तरी क्षेत्र के रूप में भी जाना जाता है. पाकिस्तान सरकार ने 10 सदस्यीय समिति का गठन प्रधान न्यायाधीश साकिब निसार की अध्यक्षता वाली उच्चतम न्यायालय की सात न्यायाधीशों की पीठ के अक्टूबर के निर्देश के मद्देनजर किया है. शीर्ष अदालत ने क्षेत्र की कानूनी स्थिति की समीक्षा करने का निर्देश दिया था ताकि इसे पाकिस्तान के अन्य प्रांतों के बराबर लाया जा सके.
शीर्ष अदालत का निर्देश क्षेत्र में संवैधानिक और प्रशासनिक सुधारों के लिये तत्कालीन नवाज शरीफ सरकार द्वारा गठित विशेष समिति की सिफारिशों के बाद आया है. पीठ के एक सदस्य ने आश्चर्य जताया कि अगर भारत ने संविधान के अनुच्छेद 370 को शामिल करके जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा दिया है तो पाकिस्तान गिलगित बाल्टिस्तान को अस्थायी प्रांत का दर्जा क्यों नहीं दे सकता.
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न्यायालय ने यह भी कहा था कि गिलगित-बाल्टिस्तान के लोग पाकिस्तानी हैं और उन्हें सारे अधिकार दिये जाने चाहिये. समिति क्षेत्र को अस्थायी प्रांत का दर्जा कैसे दिया जाए उस बारे में कदमों का सुझाव देगी. यह संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव के तहत विवादित क्षेत्र है. यद्यपि यह पाकिस्तान के नियंत्रण में है, लेकिन भारत गिलगित-बाल्टिस्तान को जम्मू कश्मीर का हिस्सा मानता है.