धारा 370 समाप्त होने के बाद पाकिस्तान बौखला गया है. यह बात कल से ही पाक मीडिया और उनके नेताओं के प्रतक्रिया से नजर रही है. इमरान खान और उनके नेताओं के बाद क्रिकेटर भी बौखला उठे हैं. इसी कड़ी में पाकिस्तान के पूर्व कप्तान शाहिद एक बयान सामने आया है. तिलमिलाए शहीद अफरीदी ने अपने ट्वीट में लिखा, "कश्मीरियों को संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के आधार पर उनके अधिकार दिए जाने चाहिए. स्वतंत्रता का अधिकार जो हम सभी को है. UNकी रचना क्यों की गई है और यह क्यों सो रहा है? कश्मीर में लगातार जो मानवता विरोधी अकारण आक्रामता और अपराध हो रहे हैं. डॉनल्ड ट्रंप (अमेरिका के राष्ट्रपति) को इस मामले में जरूरी रूप से मध्यस्थ की भूमिका अदा करनी चाहिए.
मोदी सरकार ने सोमवार (5 अगस्त) को ऐतिहासिक फैसला लेते हुए संविधान के अनुच्छेद 370 को समाप्त कर दिया, जो जम्मू एवं कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करता था। अब जम्मू एवं कश्मीर राज्य न रहकर दो केंद्र शासित प्रदेशों में बंट जाएगा, जिसमें से एक जम्मू एवं कश्मीर और दूसरा लद्दाख होगा. जम्मू एवं कश्मीर में विधानसभा होगी, लेकिन लद्दाख में विधानसभा नहीं होगी. सरकार के इस फैसले से पाकिस्तान पूरी तरह तिलमिला उठा है.
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Kashmiris must be given their due rights as per #UN resolution. The rights of Freedom like all of us. Why was @UN created & why is it sleeping? The unprovoked aggression & crimes being committed in Kashmir against #Humanity must be noted. The @POTUS must play his role to mediate
— Shahid Afridi (@SAfridiOfficial) August 5, 2019
बता दें कि इससे पहले शाहिद अफरीदी ने कई बार कश्मीर पर विवादित बयां दे चुके हैं, अफरीदी कहा था कि प्रधानमंत्री इमरान खान को कश्मीर का मुद्दा हल करने के लिए और कदम उठाने चाहिए. अफरीदी ने यह भी कहा कि कश्मीर कश्मीरियों का है. ना भारतीयों का और ना पाकिस्तानियों का। प्रथम एवं सर्वोच्च तथ्य यह है कि कश्मीर, कश्मीर के लोगों का है.
धारा 370 पर पाक पीएम इमरान खान ने कहा
गौरतलब हो कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने सोमवार को भारत द्वारा अनुच्छेद 370 को हटाने के प्रस्ताव को अवैध कदम करार दिया और कहा कि इससे क्षेत्रीय शांति व सुरक्षा समाप्त हो जाएगी. उनकी यह प्रतिक्रिया आने से पहले भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त करते हुए राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने का फैसला किया.