रियाद: सऊदी अरब में क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (MBS) के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट 'नियोम' के लिए ज़मीन खाली कराने में बल प्रयोग की खबरें सामने आई हैं. बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस 500 अरब डॉलर के स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के लिए ग्रामीणों को उनके घरों से जबरन बेदखल किया जा रहा है और विरोध करने वालों पर गोलीबारी भी की जा रही है.
पूर्व खुफिया अधिकारी ने किया खुलासा
बीबीसी ने कर्नल रबीह अलीनेज़ी, एक पूर्व खुफिया अधिकारी से बात की, जिन्होंने बताया कि उन्हें नियोम के एक हिस्से 'द लाइन' के लिए रास्ता बनाने के लिए ग्रामीणों को बेदखल करने का आदेश दिया गया था. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बेदखली का विरोध करने पर एक व्यक्ति को गोली मार दी गई थी.
सऊदी अरब ने नियोम प्रोजेक्ट के लिए 'जान से मारने का आदेश' क्यों दिया? pic.twitter.com/hvbT8nLNfh
— BBC News Hindi (@BBCHindi) May 10, 2024
हुवैतत जनजाति को बनाया जा रहा है निशाना
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस प्रोजेक्ट के लिए 6,000 से अधिक लोगों को विस्थापित किया गया है, हालांकि ब्रिटेन स्थित मानवाधिकार समूह ALQST का अनुमान है कि यह संख्या इससे कहीं अधिक है. बीबीसी ने सैटेलाइट डेटा साझा किया जिसमें दावा किया गया है कि परियोजना के लिए तीन गांवों - अल-खुरायबाह, शर्मा और ग्याल - को ध्वस्त कर दिया गया. ये गाँव हुवैतत जनजाति द्वारा बसाए गए थे, जिन्हें सरकारी आदेश द्वारा "विद्रोहियों" का समूह करार दिया गया है.
नियोम: भविष्य का शहर या ज़ुल्म की कहानी?
नियोम, सऊदी विजन 2030 का एक हिस्सा है और इसे न्यूयॉर्क से 33 गुना बड़ा बताया जा रहा है. यह मेगासिटी 26,500 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैली होगी और अकाबा खाड़ी और सऊदी अरब के लाल सागर तट रेखा के साथ विस्तारित होगी. 'द लाइन' नामक इसका एक हिस्सा कार-मुक्त शहर होगा, जो सिर्फ 200 मीटर चौड़ा और 170 किलोमीटर लंबा होगा.
आलीशान महल और विवाद
वॉल स्ट्रीट जर्नल (WSJ) ने 2022 में बताया था कि MBS ने श्रमिकों को 10 महल बनाने का आदेश दिया है, जिनमें से प्रत्येक एक फुटबॉल मैदान से बड़ा है. इन घरों की कीमत 400 मिलियन डॉलर तक हो सकती है.
चिंता और सवाल
नियोम प्रोजेक्ट की महत्वाकांक्षा के बावजूद, ज़बरदस्ती बेदखली और मानवाधिकारों के उल्लंघन की खबरों ने इसे विवादों में घेर दिया है. सऊदी सरकार और नियोम प्रबंधन ने इन आरोपों पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है, जिससे सवाल और चिंताएँ बढ़ रही हैं.