काठमांडू, 30 सितम्बर: एक विवादित कदम में, जो भारत और उसकी सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) को और अधिक नाराज कर सकता है, नेपाल की एक स्थानीय प्रशासन ने 100 बीघा या 40 एकड़ में अयोध्यापुरी धाम का निर्माण कराने का फैसला किया है. चितवन जिले की माडी नगरपालिका, जहां प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली के मुताबिक भगवान राम का जन्म हुआ है, ने अयोध्यापुरी धाम के निर्माण के लिए भूमि आवंटित करने का फैसला किया है.
ठाकुर प्रसाद ढकाल ने नेपाल की राष्ट्रीय समाचार एजेंसी को बताया कि मंगलवार को नगरपालिका की कार्यकारी निकाय बैठक ने धाम के निर्माण के लिए 100 बीघा जमीन आवंटित करने का फैसला किया. ओली ने 14 जुलाई को भगवान राम के जन्म स्थान के बारे में सनसनीखेज टिप्पणी की और दावा किया कि राम का जन्म नेपाल में हुआ था, न कि भारत स्थित उत्तर प्रदेश के अयोध्या में.
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ओली ने भारत पर एक फर्जी अयोध्या बनाने का भी आरोप लगाया, जो ओली के अनुसार नेपाल के खिलाफ एक सांस्कृतिक हमला है. ओली के बयान ने भारत और नेपाल दोनों में उस समय हंगामा मचा दिया जब नेपाल-भारत संबंधों में सीमा विवाद और चीन के साथ नेपाल के अति निकटता के कारण दोनों देशों के संबंधों में खटास आ गई थी. ढकाल ने कहा, "हमने वार्ड 8 और 9 में अयोध्यापुरी धाम के निर्माण के लिए वर्तमान अयोध्यापुरी पार्क की 100 बीघा जमीन आवंटित की है."
भगवान राम के विवादास्पद जन्म स्थान की घोषणा करने के बाद, ओली ने 9 अगस्त को मेयर ढकाल की अगुवाई में माडी नगरपालिका के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक की और अधिक सबूत इकट्ठा करने के लिए उस क्षेत्र में खुदाई शुरू करने का निर्देश दिया. ओली ने अपनी सरकार से माडी नगर पालिका को हर संभव समर्थन देने का और साथ ही साथ खुदाई के कामों को पूरा करने के लिए मास्टर प्लान तैयार करने में मदद करने और राम, सीता और लक्ष्मण की मूर्तियों को तुरंत स्थापित करने में सहयोग देने का वादा किया.
ढकाल ने कहा कि हमारे पास अतिरिक्त 50 बीघा जमीन है, जिसका उपयोग हम कोई भी तकनीकी समस्या होने पर कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि अयोध्यापुरी धाम के निर्माण के लिए एक मास्टर प्लान तैयार किया गया है और एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट जल्द ही तैयार की जाएगी. उन्होंने कहा कि नगरपालिका, प्रधानमंत्री के निदेर्शानुसार अयोध्यापुरी धाम निर्माण के कार्यों को सुविधाजनक बनाने और प्रबंधित करने के लिए लगातार काम कर रही है. ओली के विवादास्पद बयान की उनकी पार्टी के नेताओं के साथ-साथ भारत की सत्तारूढ़ पार्टी, भारतीय जनता पार्टी ने भी आलोचना की थी.