
सोमवार, 12 मई को अमेरिका और चीन के अधिकारियों ने हाल में बढ़े शुल्कों को वापस लेने की घोषणा की. दोनों देशों की कारोबारी जंग में हलकान बाजार ने राहत की सांस ली है.दोनों देश काराबोरी मतभेदों को सुलझाने के लिए और बातचीत करेंगे. फिलहाल उनकी इस घोषणा के बाद दुनिया भर के शेयर बाजारों में उछाल देखा गया है. दुनिया की दो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच संघर्ष ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को अस्थिर कर दिया था. अर्थशास्त्री चेतावनी दे रहे हैं कि दोनों देशों के बीच शुल्कों की दर अब भी ऊंची बनी रहेगी और भविष्य में होने वाली बातचीत का नतीजा क्या होगा, इसे लेकर फिलहाल कुछ कहा नहीं जा सकता है.
अमेरिकी कारोबार प्रतिनिधि जेमीसन ग्रीयर ने बताया कि अमेरिका चीनी सामान पर 145 फीसदी के शुल्क को घटा कर 30 फीसदी पर ला रहा है. दूसरी तरफ चीन भी शुल्क दर को घटा कर 10 फीसदी पर लाने के लिए रजामंद हुआ है.
ब्लैकआउट से बचाने वाला समझौता
शुल्कों को घटाने की घोषणा ग्रीयर और अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने जिनेवा में एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान की. दोनों अधिकारियों का स्वर सकारात्मक था. दोनों पक्षों ने अपने कारोबारी मुद्दों को सुलझाने के लिए बातचीत जारी रखने का फैसला किया है.
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दो दिन की बातचीत के बाद उन्होंने प्रेस से कहा कि आयात शुल्क की ऊंची दरों की वजह से दोनों देशों के बीच सामान का व्यापार पूरी तरह बंद हो सकता था. दोनों में कोई भी देश ऐसा नहीं चहता था. बेसेंट ने कहा, "इस सप्ताहांत में दोनों प्रतिनिधिमंडल की इस बात पर सहमति थी कि कोई भी संबंध तोड़ना नहीं चाहता. इन बेहद ऊंची शुल्क दरों की वजह से जो हुआ... वह एक इमबार्गो था. इमबार्गो के बराबर था. दोनों में से कोई यह नहीं चाहता. हम कारोबार चाहते हैं." बेसेंट ने यह भी कहा, "हम ज्यादा संतुलित कारोबार चाहते हैं और मेरे ख्याल से दोनों पक्षों में इसे हासिल करने की प्रतिबद्धता है."
दोनों प्रतिनिधिमंडल स्विस पुलिस के घेरे में शहर घूमे. सप्ताहांत के दोनों दिनों में इनकी दर्जनों घंटे मुलाकातें चलीं. 17वीं सदी का एक विला जो संयुक्त राष्ट्र में स्विस राजदूत का आधिकारिक आवास है, वहीं पर इनकी बैठकें हुईं. प्रतिनिधिमंडल में शामिल नेता कई बार अपने सहकर्मियों से अलग हो कर आंगन में रखे सोफे पर बैठ लेक जेनेवा के नजारों का लुत्फ लेते रहे. इस दौरान गहराते निजी संबंधों ने भी इस जरूरी समझौते में अहम भूमिका निभाई.
आखिरकार हो गया समझौता
चीन के वाणिज्य मंत्री ने कहा कि दोनों पक्ष एक दूसरे के सामानों पर शुल्कों को 91 फीसदी तक घटाने पर सहमत हुए हैं. इसके अलावा 24 फीसदी शुल्क को 90 दिनों तक स्थगित रखा जाएगा. इस तरह कुल मिला कर शुल्कों में 115 फीसदी की कमी होगी. मंत्रालय ने इस समझौते को दोनों देशों के बीच मतभेदों को सुलझाने की दिशा में अहम कदम करार दिया है.
मंत्रालय से जारी बयान में कहा गया है, "यह पहल दोनों देशों के उत्पादकों और उपभोक्ताओं की उम्मीदों के अनुरूप है और दोनों देशों के साथ ही दुनिया के साझे हितों के लिए है." चीन ने उम्मीद जताई है कि अमेरिका, "एकतरफा शुल्क बढ़ाने के गलत तरीके" को बंद करेगा और चीन के साथ आर्थिक और कारोबारी रिश्तों के विकास को सुरक्षित करने और इसमें ज्यादा निश्चय और स्थिरता लाने पर काम करेगा.
दोनों देशों की तरफ से जारी संयुक्त बयान में यह भी कहा गया है कि चीन उन कदमों को भी रोकने या स्थगित करने पर रजामंद हुआ है जो 2 अप्रैल के बाद अमेरिकी शुल्कों के जवाब में उठाए गए थे. चीन ने दुर्लभ खनिजों के निर्यात पर ज्यादा नियंत्रण लगा दिया था. इनमें से कुछ रक्षा उद्योग के लिए बेहद जरूरी हैं. इसके साथ ही निर्यात के लिए प्रतिबंधित और अविश्वसनीय कंपनियों की सूची में ज्यादा अमेरिकी कंपनियों को डाल दिया था. ऐसे में अमेरिकी कंपनियों के चीन के साथ व्यापार में मुश्किलें बढ़ गई थीं.
तनाव घटने से बाजार में उछाल
अमेरिका और चीन के बीच इस समझौते का शुल्कों के जटिल तंत्र पर पूरा असर क्या होगा, यह अभी साफ नहीं है. बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि 90 दिनों तक स्थगित रहने के दौर में दोनों देश अपने मतभेदों को मिटाने के लिए क्या रास्ता निकालते हैं. बेसेंट ने सीएनबीसी को दिए एक इंटरव्यू में कहा है कि चीन और अमेरिका के अधिकारी कुछ ही हफ्तों में दोबारा मिलेंगे.
हालांकि निवेशकों ने दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के इस समझौते पर जम कर उत्साह दिखाया. एसएंडपी 500 के फ्यूचर में 2.6 फीसदी का उछाल तो डाउ जोंस का इंडस्ट्रियल एवरेज करीब 2 फीसदी चढ़ गया. तेल की कीमतों में 1.60 डॉलर प्रति बैरल की उछाल नजर आया तो डॉलर का भाव यूरो और जापानी येन के मुकाबले बढ़ गया.
समझौते की घोषणा से शेयर बाजार में उछाल आया. अमेरिकी फ्यूचर 2 फीसदी तो हांगांग का हांग सेंक इंडेक्स करीब 3 फीसदी ऊपर गया. जर्मनी और फ्रांस में भी शेयर बाजार करीब 0.7 फीसदी ऊपर गए.
डॉनल्ड ट्रंप पिछले महीने चीन पर आयात शुल्क को बढ़ा कर 145 फीसदी तक पर ले गए थे. चीन ने भी जवाबी कार्रवाई में अमेरिकी सामानों पर आयात शुल्क 125 फीसदी तक पहुंचा दिया था. इस भारी आयात शुल्क का नतीजा दोनों देशों में एक दूसरे के सामानों के बॉयकाट के रूप में नजर आया. पिछले साल इनका आपसी कारोबार करीब 660 अरब डॉलर का था जिसे इन कदमों से इस साल काफी नुकसान पहुंचा.